Success Story: ठेले पर रोटी बेलते हुए की पढ़ाई और क्रैक कर लिया NEET, बनेंगे अपने गांव के पहले मेल डॉक्टर
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Success Story: ठेले पर रोटी बेलते हुए की पढ़ाई और क्रैक कर लिया NEET, बनेंगे अपने गांव के पहले मेल डॉक्टर

NEET Sajad Mehraj: सज्जाद को याद है कि जब वह चौथी क्लास में थे तब से वह अपने भाई के साथ जूते और क्रॉकरी की दुकान चलाते थे. जब वह 8वीं क्लास में पहुंचे, तब तक उनके पिता की बीमारी ने परिवार की वित्तीय स्थिति खराब कर दी थी.

Success Story: ठेले पर रोटी बेलते हुए की पढ़ाई और क्रैक कर लिया NEET, बनेंगे अपने गांव के पहले मेल डॉक्टर

NEET Success Story: 19 साल के सज्जाद मेहराज ने 650/720 नंबर हासिल करके NEET UG परीक्षा पास की. उन्होंने ऑनलाइन पढ़ाई के लिए फोन प्लग इन करते हुए स्टॉल पर आटा लगाते समय टाइम मैनेजमेंट करके यह उपलब्धि हासिल की. सज्जाद ने बताया कि कैसे एक बार स्कूल में किसी ने उन्हें हतोत्साहित कर दिया था, जिन्होंने कहा था, "पटरी पे नान बेचने वाले को स्कूल में क्यों आने देते हैं, ये स्कूल में आकर क्या ही करेंगे".

इसका विरोध करते हुए सज्जाद की बहन, जो गांव की पहली डॉक्टर हैं, ने उसे 'परीक्षा पास करके सभी को गलत साबित करने' के लिए कहकर मोटिवेट किया. इससे आखिर वह अपने गांव के पहले पुरुष डॉक्टर बन गए. यूट्यूब पर एक वायरल वीडियो में, फिजिक्स वाला के अलख पांडे कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में 'नान की पटरी' चलाने वाले एक युवा लड़के के साथ बातचीत करते हुए दिखाई दे रहे हैं. 

सज्जाद नान स्टॉल और अपनी पढ़ाई के बीच बैलेंस बनाने में अपने संघर्ष के बारे में बात करते हैं. वह रोजाना स्टॉल पर 7-8 घंटे काम करते हैं, फिजिक्स वाला के ऑनलाइन लेक्चर देखते हुए लगभग 300 नान पकाते हैं. उनका दैनिक काम सुबह 4 बजे शुरू होता है और वह देर शाम 7 बजे तक घर लौट आते हैं.

सज्जाद को याद है कि जब वह चौथी क्लास में थे तब से वह अपने भाई के साथ जूते और क्रॉकरी की दुकान चलाते थे. जब वह 8वीं क्लास में पहुंचे, तब तक उनके पिता की बीमारी ने परिवार की वित्तीय स्थिति खराब कर दी थी, जिससे उन्हें नान बेचने का अपना स्टॉल शुरू करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

लेकिन इससे युवा लड़के का मनोबल नहीं टूटा और उसने 8वीं क्लास में स्थानीय क्लस्टर में टॉप किया और 9वीं क्लास में कश्मीर एजुकेशन इनिशिएटिव द्वारा स्कॉलरशिप जीती. वह याद करते हैं कि फिजिक्स वाला का 2000 रुपये की छूट वाला एक कोर्स था. सज्जाद के स्कूल के प्रिंसिपल ने उनके डॉक्टर बनने के सपने को पूरा करने के लिए यह बैच खरीदा.

सज्जाद अपनी बड़ी बहन से इंस्पायर हैं, जिन्होंने नीट परीक्षा भी पास की है और वर्तमान में जीएमसी, श्रीनगर में एमबीबीएस सेकंड ईयर की स्टूडेंट हैं. सज्जाद बताते हैं कि उनके पिता 10वीं क्लास पास हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाई से कभी नहीं रोका. सज्जाद को याद है कि एक बार एक पड़ोसी ने उनके पिता से उनकी बहन की पढ़ाई छोड़ने के लिए कहा था, लेकिन उनके पिता ने उन्हें पढ़ने दिया और वह गांव की पहली डॉक्टर बनीं और सज्जाद दूसरे.

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सज्जाद जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा के सरकारी मेडिकल कॉलेज में शामिल होने के लिए तैयार हैं. अलख पांडे, जो उनके गुरु और एडटेक फर्म फिजिक्स वाला के संस्थापक हैं, उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई के लिए सज्जाद की कॉलेज फीस का भुगतान करने का आश्वासन दिया.

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