NEET Story: कुछ लोग अपनी धुन के इतने पक्के होते हैं कि उन्हें कोई परेशानी तोड़ नहीं पाती. ऐसी ही एक कहानी है नीट कैंडिडेट की, जिनके हौसले को गरीबी भी नहीं तोड़ पाई उसने कामयाबी की नई इबादत लिख डाली है.
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NEET Success Story: नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) यूजी के लिए 12वीं के युवाओं में कितना क्रेज है ये तो सभी जानते हैं. हर साल लाखों स्टूडेंट्स इस एंट्रेंस एग्जाम में शामिल होते हैं, क्योंकि मेडिकल की पढ़ाई के लिए यहीं एक एंट्री गेट है. हालांकि,कुछ सीटों के लिए इतने लाखों कैंडिडेट्स का सिलेक्शन होना मुश्किल है, जिसके कारण कॉम्पीटिशन बहुत टफ हो जाता है. नीट यूजी में सिलेक्ट होने के लिए बच्चे 10वीं के बाद ही तैयारी में जुट जाते हैं, ज्यादातर स्टूडेंट्स तो बड़े-बड़े कोचिंग संस्थानों में दाखिला ले लेते हैं, लेकिन कुछ बच्चों के लिए ऐसा कर पाना आज भी संभव नहीं है. आज हम आपको एक ऐसे लड़के की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने अपनी गरीबी से लड़कर नीट क्वालिफाई किया....
हम बात कर रहे हैं झारखंड के लाल महादेव कुमार की, जिनके हौसले को गरीबी भी नहीं तोड़ पाई है और आखिरकार उसने अपनी किस्मत अपने मेहनत के दम पर बदल डाली. महादेव कुमार यादव (Mahadev Kumar Yadav) ने नीट की परीक्षा में 386 नंबर हासिल करके साबित कर दिया कि कामयाब होने के लिए संसाधनों से ज्यादा लगन जरूरी है.
सालों पहले हो गई थी मां की मौत
नीट में सफलता पाने वाले महादेव कुमार झारखंड के गोड्डा के पथरगामा ब्लॉक से आते हैं. महादेव ने पलामू के मेदिनी राय मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के लिए अपनी सीट पक्की कर ली है. महादेव के पिता किशन यादव दूध बेचते हैं. उनकी मां 16 साल पहले इस दुनिया से विदा हो गई थी, जिसके बाद महादेव के पिता ने मां-बाप दोनों की जिम्मेदारी निभाई और अपने बच्चों की अच्छी एजुकेशन के लिए बहुत मेहनत की.
किशन यादव के 4 बेटे ओर दो बेटियां हैं. महादेव का बड़ा भाई भी सॉफ्टवेयर इंजीनियर है. बाकी भाई-बहन पढ़ाई कर रहे हैं. किशन दूध बेचकर 500-600 रुपये कमाते थे, जिससे घर चलाना मुश्किल हो गया था. ऐसे में उन्हें बच्चों की पढ़ाई के लिए अपनी जमीन बेचनी पड़ी थी.
बचपन से पढ़ाई में होशियार है महादेव
जानकारी के मुताबिक महादेव की 5वीं तक की शिक्षा गांव के ही एक आवासीय विद्यालय में हुई. इसके बाद इस होनहार बच्चे ने नवोदय स्कूल की प्रवेश परीक्षा भी पास की और 6वीं से क्लास 10 तक की वहीं पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने पटना 12वीं तक की पढ़ाई कंप्लीट की और कुछ समय तक नीट की तैयारी के लिए वहीं रुके. फिर घर वापस आ गए और अपनी नीट की तैयारी जारी रखी.
घर के काम के साथ दिया पढ़ाई को समय
महादेव ने NEET की तैयारी के लिए रोज 14 से 16 घंटे अपनी पढ़ाई को दिए. ऐसा नहीं है कि महादेव ने केवल पढ़ाई की. घर पर रहकर पढ़ाई करने के साथ ही उन्होंने अपने पिता के कामों में भी हाथ बंटाया. महादेव के पिता को दूध बेचने के लिए शहर जाना होता है. ऐसे में वह घर के सार काम करने के साथ ही दूध बेचना, गाय की देखभाल करने के साथ ही अपनी पढ़ाई के लिए समय निकालता था. आखिरकार महादेव को अपनी कड़ी मेहनत का बेहतरीन रिजल्ट मिला और अब वह एमबीबीएस की पढ़ाई करके डॉक्टर बनना का सपना पूरा करेंगे.