India First Budget: क्या आप जानते हैं कितने करोड़ का था देश का पहला बजट?
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India First Budget: क्या आप जानते हैं कितने करोड़ का था देश का पहला बजट?

India's First Budget: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस साल अपना पहला अंतरिम बजट पेश करेंगी. क्या आप जानते हैं पहला बजट कितने का था. देश के बजट का इतिहास बहुत पुराना है. आइए जानते हैं इससे जुड़ी रोचक बातें..

India First Budget: क्या आप जानते हैं कितने करोड़ का था देश का पहला बजट?

First Budget of India: देश का अंतरिम बजट (Interim Budget 2023) आगामी एक फरवरी 2024 को पेश होने वाला है. इसी के साथ साल 2024 में आम चुनाव होने हैं, जिससे पहले केंद्र की मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट पेश होगा. इस पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं. भारतीय वित्त मंत्रालय (Finance Ministry Of India) ने इसके लिए पहले से तैयारियां कर ली गई हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस साल अपना पहला अंतरिम बजट पेश करेंगी.

भारत के बजट का इतिहास बहुत पुराना है, हालांकि, देश की आजादी से पहले भी बजट पेश किए जाते थे, लेकिन क्‍या कभी आपके मन में यह सवाल नहीं आया कि भारत का पहला बजट कब पेश और किसने पेश किया था? आज हम आपको देश के बजट के इतिहास से जुड़े तमाम जरूरी और दिलचस्प तथ्‍यों के बारे में बताने जा रहे हैं...

सिर्फ इतने महीनों के लिए था ये बजट 
देश को ब्रिटिश राज से आजादी मिलने के केवल तीन महिने के अंदर संसद में पेश कर दिया गया था. स्वतंत्र भारत का पहला केंद्रीय बजट वित्त मंत्री आरके शणमुखम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया. भारत-पाकिस्तान बंटवारे के चलते हुए व्यापक दंगों के बीच पहला केंद्रीय बजट पेश किया गया था. आपको बता दें कि यह बजट केवल 7.5 महीने के लिए ही था. दरअसल, इसके बाद देश की दूसरा बजट 1 अप्रैल 1948 से लागू होना था. 

आजादी के बाद पहले बजट में कहा हुआ ज्यादा खर्च
पहले केंद्रीय बजट में लिए गए फैसले के अनुसार सितंबर 1948 तक भारत और पाकिस्तान दोनों देशों को एक ही करेंसी साझा करनी थी. बजट में फूड प्रोडक्शन, डिफेंस सर्विस और सिविल पर प्रमुख खर्च थे. देश में खाद्य उत्पादन कम होने के कारण खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दी गई.

अनुमानित राजस्व व्यय 197.39 करोड़ रुपये था, जिसमें से मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस को 92.74 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. करोड़ों रुपये का खर्च रक्षा बजट पर किया गया, क्योंकि उस समय देश को विभाजन का दंश झेलना पड़ा था. ऐसे में रक्षा मद पर सबसे ज्यादा खर्च करना तर्कसंगत और जरूरी था. 

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