Andhra Pradesh Inter Topper 2024: आंध्र प्रदेश को दो लड़कों जावेद और जॉन ने गरीबी से जूझते हुए आंध्र प्रदेश बोर्ड इंटर परीक्षा 2024 में डिस्ट्रिक्ट टॉप किया. जावेद एक कारपेंटर के बेटे हैं, तो जॉन ढाबे पर वेटर का काम करते हैं.
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Andhra Pradesh Inter Topper 2024: ऐसा कहा जाता है कि जब हम किसी चीज को पूरे दिल से चाहते हैं, तो उसे हासिल कर ही लेते हैं, चाहे कितनी भी मुश्किल क्यों न हो. हाल ही में, ऐसी ही दो लड़कों की प्रेरक कहानी ने सबका ध्यान खींचा है. इन दो लड़कों ने गरीबी से जूझने के बावजूद आंध्र प्रदेश बोर्ड इंटर परीक्षा 2024 में पहला और दूसरा स्थान हासिल किया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन दोनों लड़कों के नाम जावेद और जॉन हैं.
आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के रहने वाले जावेद को 1000 में से 961 अंक मिले हैं. वहीं, काकीनाडा जिले के जॉन को 1000 में से 918 अंक मिले हैं. ये दोनों दूसरे छात्रों के लिए आज प्रेरणा बन गए हैं.
कारपेंटर का बेटा गरीबी के जूझता हुआ बना टॉपर
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जावेद अपने माता-पिता, कटिका बशीर और कटिका खाजू और तीन भाई-बहनों के साथ कुरनूल जिले के येम्मिगनूर शहर में रहता था. जावेद घर में सबसे छोटा बेटा है. उनके पिता, जो एक कारपेंटर हैं, वह अपने चार बच्चों को शिक्षा प्रदान करने की स्थिति में नहीं थे. अपने पिता को परिवार चलाने में मदद करने के लिए, उनके बड़े भाई कमल ने शिक्षा हासिल करना रोक दिया और अपने छोटे भाई जावेद के साथ कुरनूल शहर आ गया. वहां उन्होंने अपनी आजीविका के लिए एक छोटी सी चिकन की दुकान शुरू की. दुकान से होने वाली आय से, जावेद ने अपनी शिक्षा जारी रखी और कुरनूल में गवर्नमेंट टाउन मॉडल स्कूल और कॉलेज में दाखिला लिया. वहां, उन्होंने एसएससी (SSC) परीक्षा में 600 में से 520 अंक प्राप्त किए और उसी संस्थान में अपनी इंटरमीडिएट शिक्षा (MPC) जारी रखी, जहां उन्होंने हाल ही में जारी इंटरमीडिएट परीक्षा परिणामों में 1000 में से 961 अंक प्राप्त किए. जावेद ने कहा, "मैं अपने अंक अपने भाई और माता-पिता को समर्पित कर रहा हूं क्योंकि उनके समर्थन और प्रोत्साहन के बिना मैं यह हासिल नहीं कर पाता."
कभी अपने माता-पिता को नहीं देखा
दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश के ट्यूनी शहर में श्री राजा गवर्नमेंट जूनियर कॉलेज से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने वाले पैली जॉन ने रिजल्ट में 1000 में से 918 अंक हासिल किए और इसी के साथ उन्होंने जिले के सरकारी कॉलेजों में टॉप किया है.
अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की उनकी यात्रा बहुत कठिन थी. उन्होंने अपने माता-पिता को कभी नहीं देखा. वह अपनी चाची की मदद से सरकारी होस्टल में रहकर अपनी एसएससी (10वीं) की शिक्षा पूरी की. जैसे ही होस्टल में उनका समय समाप्त हुआ, उनके लिए शिक्षा जारी रखने के सभी दरवाजे बंद हो गये.
ढाबे पर करते थे वेटर का काम
वह त्यूनी में नेशल हाईवे पर एक ढाबे पर काम करने लगे. हालांकि, ढाबे के मालिक ने जॉन की प्रतिभा को पहचाना और अपने प्रभाव से उसे प्री-यूनिवर्सिटी में दाखिला दिला दिलाया. जॉन दिन में कॉलेज जाता था और रात में ढाबे पर वेटर का काम करता था. उसके प्रयासों का इंटरमीडिएट परीक्षा परिणामों में शानदार परिणाम दिखा, क्योंकि वह अपने प्री-यूनिवर्सिटी में टॉपर बने. जॉन ने कहा, "मैं ढाबा मालिक का आभारी हूं, जिन्होंने मुझे अपनी इंटरमीडिएट की शिक्षा पूरी करने के लिए प्रोत्साहित किया और मुझे पूरी उम्मीद है कि मैं परोपकारियों की मदद से अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखूंगा."