DU: दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्टाफ के सोशल मीडिया अकाउट्स पर नजर रखेगा एक पैनल
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DU: दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्टाफ के सोशल मीडिया अकाउट्स पर नजर रखेगा एक पैनल

Delhi University Committee: मसौदा तैयार होने और स्थायी समिति के सामने पेश होने के बाद ही क्लैरिटी आएगी. 

DU: दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्टाफ के सोशल मीडिया अकाउट्स पर नजर रखेगा एक पैनल

Delhi University Staff: दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने स्टाफ के सोशल मीडिया प्लेफॉर्म का इस्तेमाल करने के संबंध में पॉलिसी तैयार करने के लिए एक समिति बनाई है. एक आधिकारिक नोटिफिकेशन में यह जानकारी दी गई है. 8 दिसंबर को जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है, 'यूनिवर्सिटी के सक्षम प्राधिकारी द्वारा कर्मचारियों के संबंध में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल को लेकर नीति तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है.' 

यूनिवर्सिटी के फैकल्टी मेंबर्स ने आरोप लगाया कि यह कदम सोशल मीडिया पर यूनिवर्सिटी की आलोचना करने वाले शिक्षाविदों पर निगरानी के लिए उठाया गया है. दिल्ली यूनिवर्सिटी की एक प्रोफेसर ने कहा, 'हम लोगों में से कई लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर टीचर्स के डिस्प्लेसमेंट, प्रमोशन में देरी और अन्य जरूरी मुद्दों के बारे में लिखते रहते हैं. ऐसी नीति हमारे अभिव्यक्ति के अधिकार पर अंकुश लगा सकती है.' उन्होंने कहा कि पॉलिसी क्या रेगुलेट करेगी, इसको लेकर कोई क्लैरिटी नहीं है. 

मसौदा तैयार होने और स्थायी समिति के सामने पेश होने के बाद ही क्लैरिटी आएगी. समिति में दिल्ली विश्वविद्यालय कंप्यूटर सेंटर के निदेशक संजीव सिंह और स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के प्राचार्य अजय जायसवाल सहित छह सदस्य शामिल होंगे.

नोटिफिकेशन के मुताबिक, समिति की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय कंप्यूटर सेंटर के निदेशक संजीव सिंह करेंगे. अजय जयसवाल, स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के प्रिंसिपल, कैम्पस लॉ सेंटर से क्षितिज कुमार सिंह, एक वकील मनीष मनोचा, जनसंपर्क अधिकारी अनुप लाठेर और इतिहास विभाग से डॉ. मनीषा सदस्य हैं.

डीयू में फिजिक्स की प्रोफेसर आभा देवी ने कहा "ऐसी नीति लाना मेरी समझ से परे है. तदर्थ शिक्षकों का डिस्प्लेसमेंट, स्टूडेंटस द्वारा लेख और फोटो पोस्ट करना, डिस्प्लेसमेंट पर सवाल उठाना, और जिस तरह से स्टूडेंट्स और टीचर्स ने डीयू की स्ट्रेटजिक प्लान की साहित्यिक चोरी का आरोप लगाया, यह एक सार्वजनिक वित्त पोषित विश्वविद्यालय है, और मैं इस सोशल मीडिया नीति का उद्देश्य न समझें."

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