Trending Photos
Chinese Investments in India: जब भी बात भारत और चीन के रिश्ते की होती है तो तनाव अपने आप बढ़ने लग जाता है. सीमा विवाद के बाद से चीन के बहिष्कार को बल मिल गया. भारत सरकार ने कई चीनी ऐप्स पर बैन लगा दिया. लोगों ने चीन के बनाए सामानों का विरोध करना शुरू कर दिया, लेकिन खराब रिश्तों के बावजूद दोनों देशों का ट्रेड रिलेशन नहीं बिगड़ा. भारत और चीन के बीच जमकर व्यापार हो रहा है.
सिर्फ वित्त वर्ष 2024 की ही बात करें तो दोनों देशों के बीच 118 अरब डॉलर का कारोबार हुआ. सीमा विवाद के बावजूद दोनों देशों के कारोबारी संबंधों पर इसका असर नहीं पड़ी, लेकिन इस बहस को एक बार फिर तब हवा मिल गई, जब नीति आयोग ने अपने हाल के इकोनॉमिक सर्वे में चीन के एफडीआई डेफिसिट को कम करने का ऑप्शन सुझाया.
चीनी निवेश पर नीति आयोग का सुझाव
नीती आयोग ने कहा कि भारत को अब चीन प्लस वन पॉलिसी का फायदा उठाते हुए चीनी इंवेस्टमेंट को वेलकम करना चाहिए. ना कि उन कंपनियों के प्रोडक्ट्स इंपोर्ट करना चाहिए. उन्होंने दलील दी कि ऐसा करने से देश में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर तो बढ़ावा मिलेगा. देश में नौकरियां पैदा होगी. अब नीति आयोग के मेंबर अरविंग विरमानी ने चीन के इंवेस्टमेंट को लेकर अपनी राय रखी है. नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने कहा है भारत के लिए यह बेहतर होगा कि वह चीन से उत्पादों का आयात करने के बजाय पड़ोसी देश की कंपनियों को भारत में निवेश करने और वस्तुओं का उत्पादन करने के लिए आकर्षित करे.
चीनी सामान के बजाए चीनी कंपनियों को बुलाए
अरविंद विरमानी ने कहा इस तरह के कदम से उत्पादों के स्थानीय विनिर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा. आम बजट से एक दिन पहले 22 जुलाई को पेश आर्थिक समीक्षा में स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने और निर्यात बाजार का लाभ उठाने के लिए चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की वकालत की गई है. उन्होंने कहा अगर कुछ आयात होने जा रहा है, जिसे हम वैसे भी 10 साल या 15 साल के लिए आयात करने जा रहे हैं, ऐसे में यह बेहतर होगा कि हम चीन की कंपनियों को भारत में निवेश करने और यहां उत्पादन करने के लिए आकर्षित करें.
चीन प्लस वन रणनीति
आर्थिक समीक्षा में कहा गया था चूंकि अमेरिका और यूरोप अपनी तत्काल सोर्सिंग चीन से हटा रहे हैं, इसलिए चीनी कंपनियों का भारत में निवेश करना अधिक प्रभावी है. समीक्षा में कहा गया था कि ‘चीन प्लस वन रणनीति’ से लाभ उठाने के लिए भारत के सामने दो विकल्प हैं - वह चीन की आपूर्ति श्रृंखला में एकीकृत हो सकता है या चीन से एफडीआई को बढ़ावा दे सकता है। विरमानी ने कहा, हमें चीन से आयात जारी रखने के बजाय इसकी अनुमति देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इन विकल्पों में चीन से एफडीआई पर ध्यान देना अमेरिका को भारत का निर्यात बढ़ाने के लिए अधिक आशाजनक लगता है.
सीमा विवाद के बाद संबंधों में खटास
इसमें कहा गया है,कि इसके अलावा, चीन से लाभ पाने की रणनीति के रूप में एफडीआई को चुनना व्यापार पर निर्भर रहने की तुलना में अधिक फायदेमंद प्रतीत होता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि चीन, भारत का शीर्ष आयात भागीदार है, और चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़ रहा है. अप्रैल, 2000 से मार्च, 2024 तक भारत में आए कुल एफडीआई इक्विटी प्रवाह में केवल 0.37 प्रतिशत हिस्सेदारी (2.5 अरब अमेरिकी डॉलर) के साथ चीन 22वें स्थान पर है। जून, 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी खटास आई है। भारत हमेशा से कहता रहा है कि सीमा क्षेत्रों पर शांति से पहले उसके चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकते हैं. दोनों देशों के बीच तनाव के चलते भारत ने टिकटॉक सहित चीन के 200 से अधिक मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगाया है.