What is Repo Rate: भारत में भारतीय रिजर्व बैंक से अन्य वाणिज्यिक बैंक पैसा उधार लेते हैं. एक रेपो रेट और कुछ नहीं बल्कि ब्याज दर है जो आरबीआई इन वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देने पर चार्ज करता है. इस रेट का इस्तेमाल मौद्रिक अधिकारियों के जरिए महंगाई को नियंत्रित करने के लिए भी किया जाता है.
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Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट का ऐलान कर दिया है. RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने घोषणा की कि RBI ने रेपो दर को 25 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 6.5% कर दिया है. इसके साथ ही अब लोन की EMI में भी इजाफा होगा. भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को रेपो दर को 25 आधार अंकों से बढ़ाकर 6.5% कर दिया, गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (RBI Monetary Policy) के निर्णय की घोषणा की. वहीं 3.35% की रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ.
रेपो रेट क्या है?
जब धन की कमी होती है तो भारत में भारतीय रिजर्व बैंक से अन्य वाणिज्यिक बैंक पैसा उधार लेते हैं. एक रेपो रेट और कुछ नहीं बल्कि ब्याज दर है जो आरबीआई इन वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देने पर चार्ज करता है. इस रेट का इस्तेमाल मौद्रिक अधिकारियों के जरिए महंगाई को नियंत्रित करने के लिए भी किया जाता है.
महंगाई
महंगाई की स्थिति में केंद्रीय बैंक रेपो रेट बढ़ा सकता है. यह वाणिज्यिक बैंकों को धन उधार लेने से हतोत्साहित करता है. इस प्रकार अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति को कम करता है और महंगाई की दर को कम करता है. बढ़ी हुई दरों पर पैसा उधार लेने पर ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है.
पैसों की आपूर्ति
अब जब महंगाई यानी मुद्रास्फीति में गिरावट आती है तो केंद्रीय बैंक रेपो रेट को कम कर सकता है. यह एक प्रोत्साहन की तरह कार्य करता है, वाणिज्यिक बैंकों को धन उधार लेने के लिए प्रोत्साहित करता है. इसके बाद वे इन पैसों को अपने ग्राहकों को मुहैया कराते हैं, जिससे पैसों की आपूर्ति बढ़ेगी.
EMI में इजाफा
वहीं जब भी आरबीआई के जरिए रेपो रेट बढ़ाई जाती है तो बैंकों को ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है. इसके कारण बैंक भी अपने ग्राहकों को दिए जाने वाले लोन की ब्याज दर बढ़ा देते हैं. इसका सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ता है और लोन की ब्याज दर बढ़ जाती है. इससे EMI में भी इजाफा हो जाता है.
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