अमित श्रीवास्तव और शिप्रा मोहन (Amit Srivastava and Shipra Mohan) नौकरी छोड़कर उत्तराखंड के लैंसडाउन की पहाड़ियों और जंगलों में बस चुके हैं. यहां उन्होंने अपने सपनों के कैफे लैंसडाउन ट्रिप ट्रेवल (Lansdowne Trip Travel Cafe) की शुरुआत की, जो टूरिस्टों की पहली पसंद बन चुका है. अमित और शिप्रा आज इस मुकाम पर पहुंच चुके हैं कि वे दोनों युवाओं को अपने सपनों को पूरा करने के लिए एक प्रेरणा बन गए हैं.
अमित श्रीवास्तव (Amit Srivastava) और शिप्रा मोहन (Shipra Mohan) स्कूल के समय से ही अच्छे दोस्त थे. इसके बाद दोनों ने एक साथ दिल्ली में एमबीए किया और फिर अच्छी नौकरी मिलने के बाद दोनों ने शादी करने का फैसला किया. अमित दिल्ली में एचडीएपसी बैंक में काम कर रहे थे और शिप्रा आउटलुक मैगजीन में अच्छे पद पर थीं. दोनों की जिंदगी बहुत अच्छी चल रही थी, लेकिन वो बस नौकरी कर अपनी जिंदगी नहीं बिताना चाहते थे.
अमित श्रीवास्तव (Amit Srivastava) की जिंदगी में बदलाव उस समय आया, जबकि उत्तराखंड स्थित उनके पैतृक गांव देविखाल के एक बुजुर्ग ने उन्हें अपने बेटे को भी शहर में नौकरी दिलाने की मांग की. इसके बाद उन्होंने सोचा कि कुछ ऐसा क्यों नहीं किया जाए, जिससे युवाओं को अपना गांव, परिवार और अपनी जमीन छोड़कर जाना ना पड़े.
इसके बाद अमित श्रीवास्तव (Amit Srivastava) और शिप्रा मोहन (Shipra Mohan) ने लगभग 100 साल पुराने खच्चर के शेड को रेनोवेट किया और एक कैफे में बदल दिया. दोनों ने अपनी क्रिएटिविटी से खच्चर के शेड को लैंसडाउन ट्रिप एंड ट्रेवल कैफे (Lansdowne Trip Travel Cafe) में बदल दिया. हालांकि उनके लिए यह सब आसान नहीं था, क्योंकि उस समय उस छोटे गांव में कोई नहीं आता था.
अमित श्रीवास्तव (Amit Srivastava) और शिप्रा मोहन (Shipra Mohan) ने हार नहीं मानी और अपनी नौकरी के साथ-साथ कैफे को संभालने लगे. छुट्टी वाले दिन दोनों कैफे का काम देखते थे और फिर धीरे-धीरे उनका कैफे पॉपुलर होने लगा. लोगों को अमित और शिप्रा का कॉन्सेप्ट पसंद आया और लोगों ने आना शुरू कर दिया. आज 5 साल बाद लैंसडाउन ट्रिप एंड ट्रेवल कैफे (Lansdowne Trip Travel Cafe) ट्रिप एडवाइजरी साइट्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के अलावा गूगल पर टॉप पोजीशन में है.
अमित श्रीवास्तव (Amit Srivastava) और शिप्रा मोहन (Shipra Mohan) ने करीब 35 साल की उम्र में सबकुछ हासिल कर लिया था, लेकिन अब उन्होंने अपनी कॉरपोरेट जॉब छोड़ दी है और एक नेचुरालिस्ट की तरह काम करते हैं. अपने यूनिक आइडिया से अमित और शिप्रा संस्कृति की धरोहर को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. वे वाइल्ड लाइफ ट्रिप आयोजित कराते हैं और गांव के लोगों को रोजगार देते हैं. अमित और शिप्रा की वजह से कई गांववाले ट्रैवल ट्रिप और वाइल्ड लाइफ टूरिज्म के जरिए अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं.
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