Property Buy Tips: अपने सपनों का घर खरीदना हर किसी का सपना होता है. कई लोग घर बनाने के लिए जिंदगी भर की सेविंग्स लगा देते हैं. अगर आप भी कोई घर या प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान बना रहे हैं, तो ये खबर आपके लिए ही है. नई प्रॉपर्टी खरीदते वक्त कुछ जरूरी बातों का खास ख्याल रखना चाहिए. कई बार थोड़ी सी गलती की वजह से लोग फ्रॉड का शिकार हो जाते हैं. एक आंकड़ें के मुताबिक देश की अलग-अलग अदालतों में करीब साढ़ें चार करोड़ केस पड़े हुए हैं, इनमें से बड़ी संख्या में प्रॉपर्टी से जुड़े मामले भी हैं. ऐसे में घर खरीदते समय कुछ सावधानियां है, जिनको ध्यान में रखकर हम कई मुश्किलों में पड़ने से बच सकते हैं. इनमें प्रॉपर्टी के पेपर्स की जांच करना भी बहुत आवश्यक है.
प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात की अच्छी तरह से जांच-पड़ताल कर लें कि आप जो जमीन या घर खरीद रहे हैं, वो किसी रेगुलेटर अथॉरिटी की सीमा में आती है या नहीं. यानी प्रॉपर्टी नगर निगम, नगर पालिका जैसी अथॉरिटी की सीमा में आती है या नहीं.
आपको ये भी जानना होगा कि जहां आप अपने सपनों का घर खरीदने जा रहे हैं वहां के लिए संबंधित अथॉरिटी ने सारे अप्रूवल और क्लीयरेंस दे दिए हैं या नहीं? इसके अलावा ये भी देखना है कि बिल्डर के पास प्रोजेक्ट के लिए सभी कागज जैसे टाइटल डीड, रिलीज सर्टिफिकेट, प्रोपर्टी टैक्स रिसिप्ट और फायर अप्रूवल हैं या नहीं? ये सभी बड़े जरूरी कागजात हैं जो आपको चेक करने चाहिए. इसके साथ-साथ आपको जमीन के इस्तेमाल के लिए वेरिफिकेशन और RERA सर्टिफिकेशन भी देखना जरूरी है.
इसे कंस्ट्रक्शन क्लीयरेंस सर्टिफिकेट के रूप में भी जाना जाता है. यह दस्तावेज अनिवार्य है जब आप किसी डेवलपर से निर्माणाधीन संपत्ति खरीद रहे हों. यह किसी बिल्डर का फ्लैट, जमीन या मकान हो सकता है. इस सर्टिफिकेट में स्थानीय अधिकारियों से आवश्यक मंजूरी, लाइसेंस और अनुमति मिलने के बाद ही निर्माण शुरू होने के प्रमाण होते हैं.
मेट्रो कनेक्टिविटी या किसी भी बड़े प्रोजेक्ट के पास अगर आप इन्वेस्ट करते हैं तो आपकी प्रॉपर्टी के दाम भविष्य में बढ़ने की ज्यादा उम्मीद होती है और आपको उसका अच्छा रिटर्न मिल सकता है. इसके अलावा ये भी देखना चाहिए कि आपकी प्रोपर्टी के पास कोई गंदगी फैलाने वाली इंडस्ट्री तो नहीं है. इसके साथ ही ये भी देख लीजिए कि आप जो प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं उसके पास स्कूल, अस्पताल जैसी सुविधाएं हैं या नहीं.
यह सर्टिफिकेट प्रोजेक्ट का निर्माण पूरा होने के बाद ही स्थानीय अधिकारियों की ओर से जारी किया जाता है. इससे यह तस्दीक रहती है कि निर्माण की गई संपत्ति किसी भी तरह के कानूनी नियम का उल्लंघन नहीं करती. इसमें पानी, सीवेज और बिजली कनेक्शन से जुड़ी जानकारी भी रहती है.
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