Maruti Suzuki in India: सुजुकी ने भारतीय बाजार में उस समय कदम रखा जब किसी भी बड़े ब्रांड ने भारत के बाजार की क्षमता में विश्वास नहीं किया था. उस समय का मार्केट साइज अब की 41 लाख यूनिट के मुकाबले महज 40,000 यूनिट का था.
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Osamu Suzuki Death: अगर किसी ने भारत की जनता को फोर-व्हीलर पर चलाने और लोगों की कार मारुति 800 (Maruti 800) का प्रोडक्शन करने का दावा किया है तो वो हैं ओसामु सुजुकी (Osamu Suzuki) . सुजुकी को उनकी मजबूत व्यापारिक समझ, सीधेपन और मितव्ययी मानसिकता के लिए जाना जाता था. सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के सीनियर एडवाइजर ओसामु का जन्म 1930 में ओसामु मात्सुदा के रूप में हुआ था. उन्होंने सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के मुखिया की पोती से शादी करने के बाद सुजुकी परिवार का नाम अपनाया था. उनके पास भारत पर दांव लगाने की दूरदर्शी सोच और रिस्क लेने की मजबूत इच्छाशक्ति थी.
जब 14000 में से एक के पास थी कार
उन्होंने भारत में उस समय कदम रखा, जब सुजुकी के कॉप्टीटर किसी भी बड़े ब्रांड ने यहां के मार्केट की क्षमता में विश्वास नहीं किया था. उस समय बाजार का साइज अब की 41 लाख यूनिट के मुकाबले महज 40,000 यूनिट का था. इसके अलावा उस समय 14000 लोगों में से एक के पास कार थी. अब यह आंकड़ा 1,000 में से 35 के पास कार पर आ गया है. सरकार ने राज्य-स्वामित्व वाली मारुति (1971 में सस्ती कार का उत्पादन करने के लिए संजय गांधी द्वारा स्थापित) के लिए हिस्सेदारों की तलाश की, जिसमें टेक्निशिन आरसी भार्गव (90 साल की उम्र में भी मारुति सुजुकी के नॉन-एग्जीक्यूटिव चेयरमैन) और वी कृष्णमूर्ति शामिल थे-सुजुकी के साथ करार शुरू नहीं हो सका था. सुजुकी एक छोटी और स्ट्रगल कर रही जापानी कार निर्माता कंपनी थी और भारत आने के मौके को करीब छोड़ दिया था.
सरकार के साथ ज्वाइंट वेंचर में 26% की हिस्सेदारी मिली
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. एक न्यूज पेपर की रिपोर्ट में दैहात्सु की मारुति के साथ साझेदारी में रुचि के बारे में बताया गया था. कंपनी के एक निदेशक ने सुजुकी को इस संभावित करार के बारे में जानकारी दी, इसके बाद कंपनी ने इस पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया. सुजुकी ने तुरंत इस पर अपनी रुचि जताई और भारतीय अधिकारियों को जापान के हमामत्सु में अपने हेड ऑफिस आने का न्योता दिया. यहां तक कि इस करार पर कंपनी ने अपनी पूरे साल की कमाई दांव पर लगा दी. हालांकि सुजुकी को सरकार के साथ ज्वाइंट वेंचर में 26% की हिस्सेदारी मिली. लेकिन उन्होंने दैहात्सु और अन्य जैसे रेनॉल्ट, फिएट एसपीए, फुजी हेवी इंडस्ट्रीज और वोक्सवैगन को पीछे छोड़ दिया.
दिसंबर 1983 में शुरू हुआ प्रोडक्शन
ज्वाइंट वेंचर पर अक्टूबर 1982 में साइन हो गए और एक रिकॉर्ड टाइम में मारुति 800 का प्रोडक्शन दिसंबर 1983 में गुड़गांव में शुरू किया गया. इस वेंचर को लेकर सरकार भी इतनी उत्साहित थी कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पहली कार की चाबी इंडियन एयरलाइंस के एक कर्मचारी हरपाल सिंह को सौंपी थी. इसके बाद सुजुकी और उनके भारतीय दांव ने बाजार में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. एक अनुभवी के तौर पर उन्होंने लागत को कम करने, लोगों की पसंद और क्वालिटी को शामिल करते हुए मारुति को तेजी से आगे बढ़ाया.
भार्गव ने एक बयान में कहा कि उनकी दूरदर्शिता और दूरदृष्टि ही थी कि उनके अलावा कोई और रिस्क लेने के लिए तैयार नहीं था. उन्होंने कहा मेरा मानना है कि भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री वह पावरहाउस नहीं बन सकता था, जो आज वह बन गया है. भार्गव ने कहा सुजुकी ने ही सिखाया कि कंपनी को कैसे तैयार करना है और इसे कॉम्पटीटिव बनाना है. भारत के साथ ओसामु के रिलेशन का जिक्र करते हुए मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन आरसी भार्गव कहते हैं उन्होंने देश के कई प्रधानमंत्रियों का विश्वास जीता और इसका फायदा उठाया. पीएम मोदी के साथ भी उनके करीबी रिलेशन रहे. ओसामु सुजुकी को इंडियन इकोनॉमी में योगदान और भारत व जापान के बीच के संबंधों को मजबूत करने के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.