One District One Product: मथुरा के पेड़े और आगरा के पेठे को भी मिलेगा ‘जीआई टैग’, रंग ला रही सरकार की कोश‍िश
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One District One Product: मथुरा के पेड़े और आगरा के पेठे को भी मिलेगा ‘जीआई टैग’, रंग ला रही सरकार की कोश‍िश

Mathura Ka Peda: मथुरा का पेड़ा हो या आगरा का पेठा, फतेहपुर सीकरी की नान खटाई हो या अलीगढ़ की चमचम, इन सभी खाद्य उत्पादों को यूपी की योगी सरकार की तरफ से ‘जीआई टैग’ दिलाने के लिए आवेदन किया जा रहा है.

One District One Product: मथुरा के पेड़े और आगरा के पेठे को भी मिलेगा ‘जीआई टैग’, रंग ला रही सरकार की कोश‍िश

GI Tag: उत्‍तर प्रदेश सरकार की तरफ से वोकल फॉर लोकल पर व‍िशेष फोकस क‍िया जा रहा है. इसी के तहत एक जिला, एक उत्पाद (One District, One Product) जैसी महत्वाकांक्षी योजना को सफलतापूर्वक आगे बढ़ा रही यूपी सरकार अलग-अलग जिलों के खास खाद्य उत्पादों को भी अलग पहचान दिलाने के लिए प्रयासरत है.

फतेहपुर सीकरी की नान खटाई
सरकार की इस मुह‍िम में मथुरा का पेड़ा हो या आगरा का पेठा, फतेहपुर सीकरी की नान खटाई हो या अलीगढ़ की चमचम मिठाई या फिर कानपुर का सत्तू और बुकनू, इन सभी खाद्य उत्पादों को यूपी की योगी सरकार की तरफ से ‘जीआई टैग’ दिलाने के लिए आवेदन किया जा रहा है. ‘जीआई टैग’ यानी भौगोलिक संकेतक ऐसे कृषि, प्राकृतिक या निर्मित उत्पादों की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है, जो एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में तैयार किए जाते हैं, और जिसके कारण इसमें अद्वितीय विशेषताओं और गुणों का समावेश होता है.

इस दिशा में लगातार प्रयासरत
कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार विभाग इस दिशा में लगातार प्रयास कर रहा है. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के चौसा आम, वाराणसी, जौनपुर और बलिया के बनारसी पान (पत्ता), जौनपुर की इमरती जैसे एग्रीकल्‍चर एवं प्रोसेस्‍ड प्रोडक्‍ट का आवेदन पहले ही किया जा चुका है. इनकी पंजीयन प्रक्रिया अंतिम चरण में है. उत्तर प्रदेश के कुल 36 उत्पाद ऐसे हैं, जिन्हें ‘जीआई टैग’ मिल चुका है. इसमें छह उत्पाद कृषि से जुड़े हैं.

420 प्रोडक्‍ट ‘जीआई टैग’ के तहत पंजीकृत
इसके अलावा भारत के कुल 420 उत्पाद ‘जीआई टैग’ के तहत पंजीकृत हैं, जिसमें से 128 उत्पाद कृषि से संबंधित हैं. कृषि विभाग में अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि अभी यूपी के जो छह उत्पाद ‘जीआई टैग’ में पंजीकृत हैं, उनमें इलाहाबादी सुर्खा अमरूद, मलिहाबादी दशहरी आम, गोरखपुर-बस्ती एवं देवीपाटन मंडल का काला नमक चावल, पश्चिमी उप्र का बासमती, बागपत का रतौल आम और महोबा का देसावरी पान शामिल हैं.

बयान के मुताबिक ऐसे करीब 15 कृषि एवं प्रसंस्कृत उत्पाद हैं, जिनके भौगोलिक संकेतक हेतु पंजीयन की प्रक्रिया लंबित है. इनमें बनारस का लंगड़ा आम, बुंदेलखंड का कठिया गेहूं, प्रतापगढ़ आंवला, बनारस लाल पेड़ा, बनारस लाल भरवा मिर्च, यूपी का गौरजीत आम, चिरईगांव करौंदा आफ वाराणसी, पश्चिम उप्र का चौसा आम, पूर्वांचल का आदम चीनी चावल, बनारसी पान (पत्ता), बनारस ठंडई, जौनपुर की इमरती, मुजफ्फरनगर का गुड़, बनारस तिरंगी बरफी और रामनगर भांटा शामिल है. (भाषा)

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