HRA में टैक्सपेयर्स की धोखाधड़ी पर ऐक्शन वाली रिपोर्ट कितनी सही? CBDT ने बताई हकीकत
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HRA में टैक्सपेयर्स की धोखाधड़ी पर ऐक्शन वाली रिपोर्ट कितनी सही? CBDT ने बताई हकीकत

HRA:  एचआरए यानी हाउस रेंट अलाउंस लगभग सभी कर्मचारियों को मिलता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें कुछ लोग फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल करते हैं. मतलब कर्मचारियों द्वारा रेंट ना देकर भी एचआरए क्लेम किया जा रहा है.

HRA में टैक्सपेयर्स की धोखाधड़ी पर ऐक्शन वाली रिपोर्ट कितनी सही? CBDT ने बताई हकीकत

HRA:  एचआरए यानी हाउस रेंट अलाउंस लगभग सभी कर्मचारियों को मिलता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें कुछ लोग फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल करते हैं. मतलब कर्मचारियों द्वारा रेंट ना देकर भी एचआरए क्लेम किया जा रहा है. इन रिपोर्ट्स पर सीबीडीटी के ऐक्शन का दावा किया जा रहा था. अब सीबीडीटी ने स्पष्टटीकरण जारी कर कहा है कि इन रिपोर्ट्स में कोई सच्चाई नहीं है.

क्या कहा सीबीडीटी ने?

सीबीडीटी ने एचआरए दावों से जुड़े मामलों को फिर से खोलने के लिए विशेष अभियान का दावा करने वाली मीडिया रिपोर्टों पर स्पष्टीकरण जारी किया है. सीबीडीटी ने कहा कि ऐसे मामलों को फिर से खोलने के लिए कोई विशेष अभियान नहीं चलाया जा रहा है. मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि सीबीडीटी अभियान चलाकर बड़े पैमाने पर ऐसे मामलों को खोलने जा रही है. सीबीडीटी ने कहा कि ऐसा दावा पूरी तरह से गलत है.

सिर्फ लोगों को सचेत करने की कोशिश

सबीडीटी ने कहा कि एचआरए से जुड़ी करदाता द्वारा दायर की गई और आयकर विभाग के पास मौजूद जानकारी के बेमेल होने के कुछ मामलों के डेटा विभाग के ध्यान में आए हैं. ऐसे मामलों में विभाग ने करदाताओं को सचेत किया है ताकि वे सुधारात्मक कार्रवाई कर सकें. 

सबीडीटी ने दावों को बताया निराधार

पीआईबी के पोस्ट में सबीडीटी के हवाले से इन रिपोर्ट्स को निराधार बताया गया है. इसमें कहा गया है कि वित्त वर्ष 2020-21 के लिए कर्मचारी द्वारा भुगतान किए गए किराए और प्राप्तकर्ता द्वारा किराए की प्राप्ति के बीच बेमेल के कुछ उच्च मूल्य वाले मामलों में डेटा विश्लेषण किया गया था. ई-सत्यापन का उद्देश्य दूसरों को प्रभावित किए बिना केवल वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जानकारी के बेमेल होने के मामलों को सचेत करना था.

कोई विशेष अभियान नहीं

पीआईबी की पोस्ट में कहा गया है कि ऐसे मामलों को फिर से खोलने के लिए कोई विशेष अभियान नहीं है. मीडिया रिपोर्ट्स में विभाग द्वारा बड़े पैमाने पर मामले फिर से खोले जाने की बातें पूरी तरह से गलत हैं.

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