AM Naik Success Story: 1990 का दौर अंबानी और बिड़ला का वक्त था. उस दौर में इन दोनों कारोबारी की ऐसी धमक थी कि वो जिस कंपनी पर अपना हाथ रख देते थे वो उनकी हो जाए. जब बाकी एलएंडटी की आई तो एएम नाइक ढाल बनकर खड़े हो गए. उन्होंने अंबानी और बिड़ला ने अपनी कंपनी न केवल बचाई बल्कि देश की दिग्गज कंपनियों में लाकर खड़ा कर दिया.
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AM Naik Saved L&T: 1990 का दौर अंबानी और बिड़ला का वक्त था. उस दौर में इन दोनों कारोबारी की ऐसी धमक थी कि वो जिस कंपनी पर अपना हाथ रख देते थे वो उनकी हो जाए. भारत के उद्योग जगत के किंग कहलाने वाले अंबानी और बिड़ला की इस धाक का सामना जब एलएंडटी (L&T) से हुआ तो लगा कि कंपनी इन दोनों के सामने घुटने टेक देगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. एएम नाइक ने न केवल L&T को अंबानी और बिड़ला के हाथों में जाने से बचा लिया बल्कि कारोबार को नई ऊंचाईयों पर पहुंचा दिया.
एलएंडटी को खरीदने की कोशिश
कहानी की शुरुआत साल 1990 में हुई, जब दुबई के दिग्गज कारोबारी मनु छाबड़िया ने L&T में एक फीसदी की हिस्सेदारी खरीदी. छाबड़ियां कंपनी का अधिग्रहण करना चाहते थे, लेकिन उसने मंसूबों को एएम नाइक भांप चुके थे. कंपनी को बचाने के लिए एएम नाइक खुद अंबानी को कंपनी में लेकर आए. उन्होंने छाबड़िया से तो कंपनी को बचा लिया, लेकिन अब उनके सामने रिलायंस इंडस्ट्रीज के धीरूभाई अंबानी थे.
अंबानी को पसंद आ गई थी कंपनी
धीरूभाई अंबानी कारोबार को समझते थे. वो समझ चुके थे कि एलएंडटी में अपार संभावनाएं हैं. निर्माण और इंजीनियरिंग का कारोबार करने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी लार्सन ऐंड टुब्रो (L&T) की ग्रोथ और पर्याप्त नकदी उन्हें लुभा रही थी. वो कंपनी को रिलायंस के भीतर लाना चाहते थे. धीरूभाई अंबानी L&T का अधिग्रहण करना चाहते थे. उन्होंने धीरे-धीरे उस ओर काम करना शुरू कर दिया. धीरूभाई अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज ओपन मार्केट से एलएंडटी के शेयर खरीदने लगी. धीरे-धीरे उन्होंने अपने दोनों बेटों मुकेश और अनिल अंबानी को भी एलएंडटी की बोर्ड में शामिल कर लिया. एएम नाइक इस खतरे को भांप गए. हालांकि धीरूभाई अंबानी को रोक पाना उनके लिए इतना आसान नहीं था. अंबानी के पास L&T में 19 फीसदी हिस्सेदारी थी.
ऐसे अंबानी चूक गए मौका
धीरूभाई अंबानी खुद को L&T का चेयरमैन और मुकेश अंबानी को मैनेजिंग डायरेक्टर बनाना चाहते थे. जनरल मीटिंग में इस पर खूब हंगामा हुआ ज्यादातर शेयरहोल्डर्स ने इस प्रस्ताव को नकार दिया. एएम नाइक के लिए एलआईसी वरदान बनकर आई. L&T को बचाने के लिए उस वक्त की सबसे बड़ी शेयरहोल्डर LIC सामने आई और अंबानी को बाहर जाना पड़ा. अंबानी की मुश्किल इतनी आसानी से खत्म होने वाली नहीं थी. धीरूभाई अंबानी आसानी से निकलने वाले नहीं थे, उन्होंने जाते-जाते अपनी हिस्सेदारी कुमार मंगलम बिड़ला के हाथों बेच दी. बिड़ला पहले से ही एलएंडटी की प्रतिद्वंदी कंपनियों में से एक थी. सीमेंट के कारोबार में दोनों आमने-सामने थे.
अंबानी के बाद बिड़ला ने खड़ी कर दी मुश्किल
बिड़ला अगर एलएंडटी का अधिग्रहण कर लेते तो कारोबार में उनका दबदबा बढ़ जाता. बिड़ला ने साल 2010 में एएम नाइक को कंपनी का एमडी और चेयरमैन नियुक्त किया. नाइक बिड़ला के इरादे को समझ चुके थे. उन्होंने बिना देर किए एलएंडटी एंप्लॉयी ट्रस्ट बना दिया. उन्होंने कर्मचारियों से अपील की और कहा कि इतना अच्छा काम करें कि किसी के लिए भी हमारी कंपनी के शेयर खरीदकर इस पर कब्जा करना संभव न हो. उन्होंने कहा कि अगर हम अच्छा काम करेंगे तो शेयर की कीमत ऊपर बढ़ती जाएगी. किसी के लिए भी शेयर का बड़ा हिस्सा खरीदकर कंपनी अधिग्रहण करना आसान नहीं होगा. नाइक अपनी कंपनी को बचाने के लिए सेबी के पास पहुंच गए. सेबी ने बिड़ला ग्रुप से कहा कि वो ओपन ऑफर पर कदम न बढ़ाए. अंत में बिड़ला ने साल 2003 में एलएंडटी में अपनी पूरी हिस्सेदारी एलएंडटी एंप्लॉयी ट्रस्ट को बेच दी. हालांकि इसके बदले उन्होंने एलएंडटी से उनका सीमेंट कारोबार ले लिया, जिसका नाम बदलकर उन्होंने अल्ट्राटेक सीमेंट रखा.
राम मंदिर से लेकर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण
इंजीनियरिंग सेक्टर की दिग्गज कंपनी एलएंडटी (L&T) के नाम आज कई रिकॉर्ड हैं. अयोध्या के राम मंदिर से लेकर दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम , राउरकेला में दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम बनाने का श्रेय एलएंडटी के पास है. हाल ही में कोलकाता में शुरु हुए अंडवाटर मेट्रो के निर्माण में भी एलएंडटी का योगदान है. आज यह दुनिया के 50 से ज्यादा देशों में कंपनी की सर्विसेस है. इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन के अलावा टेक्नोलॉजी, फाइनेंशियल सर्विसेज और आईटी सेक्टर में एलएंडटी तेजी से बढ़ रही है.