Electoral bond: 1 से 100 करोड़ तक का खरीद सकते हैं, लेकिन गोल्ड नहीं जो ब्याज मिलेगा
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Electoral bond: 1 से 100 करोड़ तक का खरीद सकते हैं, लेकिन गोल्ड नहीं जो ब्याज मिलेगा

Electoral Bonds News: इन बॉन्ड्स को सरकार की तरफ से 5 साल पहले शुरू किया गया था. कई बार लोग इन बॉन्ड्स को इंवेस्टमेंट बॉन्ड समझने लगते हैं. बल्कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. आज हम आपको बताएंगे कि यह किस तरह के बॉन्ड हैं और इनका क्या यूज है-

Electoral bond: 1 से 100 करोड़ तक का खरीद सकते हैं, लेकिन गोल्ड नहीं जो ब्याज मिलेगा

Electoral bond 2023: चुनावी बॉन्ड या फिर इलेक्टोरल बॉन्ड... देश में जब भी इलेक्शन आते हैं तो इन बॉन्ड का नाम सुनाई देता है. शायद अभी भी बहुत से ऐसे लोग हैं, जिनको इस बारे में पता भी नहीं है. इन बॉन्ड्स को सरकार की तरफ से 5 साल पहले शुरू किया गया था. कई बार लोग इन बॉन्ड्स को इंवेस्टमेंट बॉन्ड समझने लगते हैं. बल्कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. आज हम आपको बताएंगे कि यह किस तरह के बॉन्ड हैं और इनका क्या यूज है-

चुनावी बांड को राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे के विकल्प के रूप में पेश किया गया था. बॉन्ड का मुख्य उद्देश्य राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ाना था. 

आज से शुरू हो गई है बिक्री

राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आने के बीच चुनावी बॉन्ड की 29वीं किस्त की बिक्री आज से शुरू हो गई है. इससे करीब एक महीने पहले, चार अक्टूबर से बिक्री का 28वां चरण शुरू हुआ था.

नहीं मिलता है रिटर्न

इन बॉन्ड्स को रिजर्व बैंक की तरफ से जारी किया जाता है. चुनावी बांड खरीदकर किसी पार्टी को देने से ‘बांड खरीदने वाले’ को कोई भी फायदा नहीं होता है और न ही किसी तरह का रिटर्न मिलता है. लेकिन इस बॉन्ड के जरिए आपको टैक्स में छूट का फायदा जरूर मिल जाता है. 80जीजी 80जीजीबी (ection 80 GG and Section 80 GGB) के तहत इनकमटैक्स में छूट मिलती है.  ये अमाउंट पॉलिटिकल पार्टी के दिए जाने वाले दान की तरह होता है. अगर आप चाहे तो इस बॉन्ड को बैंक को वापस कर सकते हैं और अपना पैसा वापस ले सकते हैं लेकिन उसकी एक अवधि तय होती है.

2018 में शुरू हुआ था सिस्टम

इलेक्टोरल बॉन्ड सिस्टम को 2018 में शुरू किया गया था. इसको एक वित्त विधेयक के जरिए पेश किया गया है. इस बॉन्ड के जरिए कोई भी व्यक्ति, संस्थान या फिर किसी पॉलिटिकल पार्टी को पैसे डोनेट कर सकते हैं. यानी आप उसे चंदे के रूप में दे सकते हैं. 

SBI के पास है बॉन्ड बेचने का अधिकार

सरकारी नीति के मुताबिक, इलेक्टोरल बॉन्ड मिलने के 15 दिन के अंदर ही उसको बैंक अकाउंट में जमा करवाना होता है. इसके अलावा जमा किए जाने वाले दिन ही बॉन्ड की राशि खाते में आ जाती है. एसबीआई को ये बॉन्ड बेचने का अधिकार दिया गया है. 

किन शहरों से खरीद सकते हैं बॉन्ड

चुनावी बांड योजना को अंग्रेजी में ‘इलेक्टोरल बॉन्ड्स स्कीम’ (electoral bond scheme) के नाम से जाना जाता है. यह बॉन्ड एसबीआई की कुछ खास शाखाओं में मिलते हैं. आप 29 शाखाओं से बॉन्ड खरीद सकते हैं. इसके अलावा आप इ बॉन्ड को नई दिल्ली, गांधीनगर, चंडीगढ़, बेंगलुरु, हैदराबाद, भुवनेश्वर, भोपाल, मुंबई, जयपुर, लखनऊ, चेन्नई, कलकत्ता और गुवाहाटी समेत कई शहर में हैं.

कौन खरीद सकता है ये बॉन्ड?

अब सवाल यह है कि इन बॉन्ड को खरीद कौन सकता है... इन बॉन्ड्स को भारत का कोई भी नागरिक खरीद सकता है. इसके अलावा कंपनी, संस्था या फिर चुनावी चंदे के लिए खरीदा जा सकता है. इन बॉन्ड को 1000 रुपये से लेकर के 10,000 या फिर एक लाख और 1 करोड़ रुपये तक का खरीदा जा सकता है. देश का कोई भी नागरिक किसी भी राजनीतिक पार्टी को चंदा देना चाहता है तो एसबीआई से चुनावी बॉन्ड खरीद सकते हैं. वो बॉन्ड खरीदकर किसी भी पार्टी को दे सकता है.

आखिर क्यों बनाए गए थे चुनाबी बॉन्ड?

केंद्र सरकार की तरफ से पारदर्शिता की वजह से इस बॉन्ड को जारी किया गया था. चुनावी बॉन्ड के तहत हर राजनीतिक दल को दी जाने वाली राशि का पूरा हिसाब-किताब बैंक से होगा.

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