India Budget 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को वित्त वर्ष 2025-26 का केंद्रीय बजट संसद में पेश करेंगी. यह बजट वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं तथा धीमी पड़ती घरेलू वृद्धि के बीच आ रहा है.
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Union Budget 2025: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव ने कहा है कि बजट का प्राथमिक उद्देश्य अर्थव्यवस्था को टिकाऊ बनाना तथा उच्च वृद्धि पथ पर लाना है.
गुरुवार को एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की 3.0 सरकार को वृद्धि तथा रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए आगामी बजट में ‘‘राजनीतिक रूप से कठिन’’ संरचनात्मक सुधारों को लागू करने के लिए अपनी विशाल राजनीतिक पकड़ का इस्तेमाल करना चाहिए.
सुब्बाराव ने आगे कहा कि यह राजग 3.0 सरकार का पहला पूर्ण बजट है और इसे राजनीतिक रूप से कठिन संरचनात्मक सुधारों को लागू करने के लिए अपनी विशाल राजनीतिक पकड़ का इस्तेमाल करना चाहिए.
केवल ग्रोथ से काम नहीं चलेगा: सुब्बाराव
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि बजट का प्राथमिक उद्देश्य अर्थव्यवस्था को टिकाऊ बनाना तथा उच्च वृद्धि पथ पर लाना है. सुब्बाराव ने कहा, ‘‘ लेकिन केवल वृद्धि से काम नहीं चलेगा. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि वृद्धि का लाभ व्यापक रूप से सभी तक पहुंचे यानी हमें असमानता कम करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा."
उन्होंने कहा कि भारत के निचले तबके की आधी आबादी का विशाल उपभोग आधार देश की वृद्धि का सबसे बड़ा चालक है. सुब्बाराव ने कहा, ‘‘ निचले आधे हिस्से में उपभोग बढ़ाने का एकमात्र स्थायी तरीका रोजगार सृजन है. यदि वे अधिक कमाएंगे, तो वे अधिक खर्च करेंगे, जिससे अधिक उत्पादन, अधिक रोजगार तथा उच्च वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा."
भारत में निवेश के लिए मिलकर काम करना होगाः सुब्बाराव
आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि यदि अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध बढ़ता है, तो संभावित निवेशक वैकल्पिक गंतव्यों की तलाश करेंगे और ‘‘ हमें उनके लिए भारत में निवेश को एक सुखद अनुभव बनाने के लिए मिलकर काम करना होगा."
उन्होंने रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र और श्रम-प्रधान निर्यात पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया. सुब्बाराव ने साथ ही कहा, ‘‘ इसके अलावा (अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड) ट्रंप की धमकी भरी नीतियों के कारण डॉलर लंबे समय तक मजबूत बना रहेगा और ऐसी परिस्थितियों में रुपये को थामने का प्रयास आत्मघाती हो सकता है."
उन्होंने कहा कि आरबीआई की घोषित नीति यह है कि वह किसी विशिष्ट विनिमय दर को लक्ष्य नहीं बनाती, बल्कि ‘‘अत्यधिक’’ अस्थिरता को रोकने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करती है. आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने जोर देकर कहा, ‘‘ आरबीआई के लिए अपनी बात पर अमल करना एक मजबूत मामला है.’’ रुपया फिलहाल काफी गिरावट का सामना कर रहा है. 13 जनवरी को यह अपने सर्वकालिक निचले स्तर 86.70 प्रति डॉलर पर पहुंच गया था.
(कॉपी-भाषा)