Pind daan in gaya: पितृ पक्ष के 15 दिन पूर्वजों को समर्पित हैं. इन दिनों में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म, पिंडदान आदि अनुष्ठान किए जाते हैं. क्या ये जानते हैं कि गयाजी में ही पिंडदान क्यों किया है?
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Pitru Paksha 2023: हिंदू धर्मावलंबियों के लिए बिहार स्थित गया का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है. इसलिए गया नगरी को सम्मान से गयाजी कहा जाता है. पितरों की आत्मा की शांति के लिए गया में ही पिंडदान किया जाता है. हर साल 15 दिन के पितृ पक्ष आते हैं और इन्हीं 15 दिनों में पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि किए जाते हैं. पितृ पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होते हैं और अश्विन मास की अमावस्या के दिन खत्म होते हैं. इसे सर्व पितृ अमावस्या कहते हैं. इस साल पितृ पक्ष या श्राद्ध की शुरुआत 29 सितंबर 2023 से होगी और 14 अक्टूबर 2023 को श्राद्ध समाप्त होंगे.
गया में ही क्यों किया जाता है पिंडदान
पितृ पक्ष के दौरान हिंदू लोग बिहार के गया जिले जाते हैं और अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करते हैं. मान्यता है कि भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ने सबसे पहले गया आकर अपने पिता राजा दशरथ के लिए पिंडदान किया था. उन्होंने इस भाव से अपने पिता का पिंडदान किया था कि उन्हें मरने के बाद मोक्ष प्राप्त हो और वे जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाएं. माना जाता है कि गयाजी में पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसलिए देश-विदेश से भी लोग अपने पूर्वजों की मोक्ष की कामना के लिए पिंडदान करने आते हैं.
108 कुल का होता है उद्धार
माना जाता है कि गयाजी में पिंडदान करने से 108 कुल और 7 पीढ़ियों का उद्धार होता है और उन्हें सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसा करने से उन्हें स्वर्ग में स्थान मिलता है. इस मौके पर गया में विश्वविख्यात पितृ पक्ष मेला भी लगता है. इस साल यह गया का पितृ पक्ष मेला 28 सितंबर 2023 से शुरू होगा और 14 अक्टूबर 2023 तक चलेगा. इस दौरान यहां पिंडदान के लिए आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन विशेष इंतजाम करता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)