जन्माष्टमी का त्योहार हर साल भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को मनाया जाता है. इस बार ये पर्व 7 सितंबर को मनाया जाएगा. कहते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु ने द्वापर युग में श्री कृष्ण का अवतार लिया था. जन्माष्टमी के दिन घर में विराजित लड्डू गोपाल को सजाया जाता. उनका 16 ऋंगार किए जाते हैं.
कई बार लोग घर में लड्डू गोपाल को विरामान करने की सोचते हैं, लेकिन सही दिन और पूरी जानकारी के अभाव में वे या तो लड्डू गोपाल को विराजित नहीं कर पाते या फिर उन्हें पूर्ण फल प्राप्त नहीं पाता. ऐसे में अगर आप भी लड्डू गोपाल को घर में स्थापित करने की सोच रहे हैं, तो इसके लिए जन्माष्टमी का दिन उत्तम बताया जाता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर कोई दंपत्ति लंबे वक्त से संतान की इच्छा रखे हुए है, तो वे लड्डू गोपाल को घर में लाकर उनकी सेवा करते हैं, जिससे उन्हें मनचाहा फल मिलता है. अगर कोई व्यक्ति लड्डू गोपाल को घर में लाना चाहता है तो जन्माष्टमी से शुभ दिन कोई नहीं है. इस खास दिन लड्डू गोपाल की मंदिर में स्थापना करनी चाहिए. इसके साथ ही उनकी पूजा के कुछ नियमों का पालन करना चाहिए.
लड्डू गोपाल को घर में एक बच्चे का स्वरूप माना जाता है. सुबह उठने के बाद सबसे पहले उन्हें स्नान कराएं. फिर लड्डू गोपाल को दूध या पानी से स्नान कराएं. स्नान कराते वक्त शंख का इस्तेमाल करना काफी शुभ माना जाता है.
लड्डू गोपाल को स्नान कराने के बाद उनके वस्त्र बदलने चाहिए. लड्डू गोपाल को बच्चे की तरह रखना चाहिए उनके कपड़े हमेशा साफ रखें, एक ही जोड़ा उनके लिए काफी नहीं है. हर स्नान के बाद धुले कपड़े पहनाएं.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार लड्डू गोपाल के कपड़ों के साथ उनका श्रृंगार भी जरूरी है. रोजाना उन्हें चंदन का टीका लगाकर, उनका श्रृंगार करें, जिसमें उनके कान की बाली, हाथो में कड़ा, बांसुरी और मोरपंख जरूर शामिल करें.
जिस तरह से एक मां अपने बच्चे को वक्त-वक्त पर कुछ न कुछ खिलाती रहती हैं, वैसे ही लड्डू गोपाल को नियम के अनुसार, दिन में 4 बार भोग लगाया जाता है. लड्डू गोपाल को माखन-मिश्री बहुत पसंद है, इसलिए उन्हें माखन-मिश्री के साथ बूंदी के लड्डू, खीर या हलवे का प्रसाद का भोग लगा सकते हैं.
घर में लड्डू गोपाल की पूजा करने के बाद, दिन में चार बार आरती करें. लड्डू गोपाल को झूले में रखना भी शुभ माना जाता है.
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