फसल के मोर्चे पर आई खुशखबरी, धान-अरहर और उड़द के दाल के रकबे में जबरदस्‍त इजाफा
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फसल के मोर्चे पर आई खुशखबरी, धान-अरहर और उड़द के दाल के रकबे में जबरदस्‍त इजाफा

अरहर का रकबा भी तेजी से बढ़ा है. यह बढ़कर 20.82 लाख हेक्टेयर हो गया, जो एक साल पहले इसी दौरान 4.09 लाख हेक्टेयर था. उड़द का रकबा बढ़कर 5.37 लाख हेक्टेयर रहा जो एक साल पहले इसी अवधि में 3.67 लाख हेक्टेयर था.

फसल के मोर्चे पर आई खुशखबरी, धान-अरहर और उड़द के दाल के रकबे में जबरदस्‍त इजाफा

Paddy Sowing in India: धान बुवाई का रकबा चालू खरीफ सत्र 2024-25 में 19.35 प्रतिशत बढ़कर 59.99 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है. कृषि मंत्रालय ने इस बारे में जानकारी दी. एक साल पहले इसी अवधि में धान का रकबा 50.26 लाख हेक्टेयर था. खरीफ की फसल धान की बुवाई जून में दक्षिण-पश्‍च‍िम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती है और कटाई सितंबर से होती है. मंत्रालय ने बयान में कहा कि इसके अलावा चालू सत्र में 8 जुलाई तक दलहनों की बुवाई का रकबा भी बढ़कर 36.81 लाख हेक्टेयर हो गया जो पिछले साल की समान अवधि में 23.78 लाख हेक्टेयर था.

अरहर का रकबा बढ़कर 20.82 लाख हेक्टेयर हो गया

अरहर का रकबा भी तेजी से बढ़ा है. यह बढ़कर 20.82 लाख हेक्टेयर हो गया, जो एक साल पहले इसी दौरान 4.09 लाख हेक्टेयर था. उड़द का रकबा बढ़कर 5.37 लाख हेक्टेयर रहा जो एक साल पहले इसी अवधि में 3.67 लाख हेक्टेयर था. हालांकि, मोटे अनाज का रकबा घटकर 58.48 लाख हेक्टेयर रहा. एक साल पहले इसी अवधि में यह 82.08 लाख हेक्टेयर था. मोटे अनाज में मक्के का रकबा बढ़कर 41.09 लाख हेक्टेयर हो गया जो एक साल पहले इसी अवधि में 30.22 लाख हेक्टेयर था.

खरीफ मौसम में अब तक तिलहनों की बुवाई का रकबा तेजी से बढ़कर 80.31 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो एक साल पहले इसी अवधि में 51.97 लाख हेक्टेयर था. नकदी फसलों में, गन्ने का रकबा मामूली बढ़कर 56.88 लाख हेक्टेयर हो गया जो एक साल पहले समान अवधि में 55.45 लाख हेक्टेयर था. कपास का रकबा बढ़कर 80.63 लाख हेक्टेयर हो गया जो एक साल पहले 62.34 लाख हेक्टेयर था. जूट-मेस्टा का रकबा घटकर 5.63 लाख हेक्टेयर रहा जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 6.02 लाख हेक्टेयर था.

सभी खरीफ फसलों की बुवाई का कुल रकबा 14 प्रतिशत बढ़कर 378.72 लाख हेक्टेयर रहा. यह पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 331.90 लाख हेक्टेयर था. हालांकि, मानसून केरल में जल्दी पहुंच गया, लेकिन अबतक इसकी प्रगति धीमी रही है. कई क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश हुई है. हालांकि, भारत मौसम विज्ञान विभाग ने पूरे जून-सितंबर में औसत से अधिक बारिश का अनुमान लगाया है. (भाषा)

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