तालिबान की राह पर पाकिस्तान; यूनिवर्सिटी में छात्र-छात्राओं के साझा प्रोग्रामों पर लगाई रोक
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तालिबान की राह पर पाकिस्तान; यूनिवर्सिटी में छात्र-छात्राओं के साझा प्रोग्रामों पर लगाई रोक

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के गोमल विश्वविद्यालय के प्रशासन ने विश्वविद्यालय मिश्रित-लिंग वाले सभाओं पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया है कि इससे लड़कियां सुरक्षित रहेंगी.  

 

अलामती तस्वीर

पेशावरः पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के सरकार ने किसी 'अनहोनी घटना’ से बचने के लिए खैबर पख्तूनख्वा के गोमल विश्वविद्यालय के परिसर में छात्रों के एकत्र होने और खासकर जोड़े (पुरुष और महिला) पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है.
वश्वविद्यालय द्वारा जारी एक नोटिफिकेशन के मुताबिक, “विभाग के परिसर से बाहर किसी भी मैदान, सड़कों पर सभा/युग्मन (पुरुष और महिला) के जमा होना पूरी तरह से प्रतिबंधित है." जियो न्यूज ने बताया कि विश्वविद्यालय ने छात्राओं को सावधान रहने और खुद को अपनी कक्षाओं और विभाग के कॉमन रूम तक सीमित रखने का निर्देश दिया है. विश्वविद्यालय ने चेतावनी दी है कि नियमों का उल्लंघन करने वाले छात्र-छात्राओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. 

संगीत सुनने पर लगाया था 5 हजार का जुर्माना 
विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक, इस फैसले से छात्राओं के लिए बेहतर और सुरक्षित माहौल मुहैया कराने में मदद मिलेगी.जियो न्यूज ने बताया कि विश्वविद्यालय ने कंप्यूटिंग और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईसीआईटी) विभाग के दो छात्रों पर पिछले साल सत्र के दौरान संगीत सुनने के लिए 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया था. आईसीआईटी विभाग के तत्कालीन अध्यक्ष ने कहा था कि दोनों छात्र विश्वविद्यालय के एक शिक्षण क्षेत्र में ब्लूटूथ स्पीकर पर संगीत बजा रहे थे.उन्होंने कहा था कि उनकी कार्रवाई, उस वक्त विभाग में चल रही कक्षाओं को परेशान कर रही थी. अध्यक्ष ने कहा था कि दोनों छात्रों को (संगीत) बंद करने के लिए कई बार चेतावनी दी गई थी और अनुरोधों पर ध्यान न देने पर जुर्माना लगाया गया था. 

छात्रों ने की फैसले की आलोचना 
वहीं, यूनिवर्सिटी प्रशासन के इस फैसले की कई लोगों ले आलोचना की है और इसे तालिबानी कदम करार दिया है. कराची के मानवाधिकार कार्यकता राफिया सईद ने कहा कि ऐसे फैसले तालिबानी सोच को प्रतिबिंबित करते हैं. पाकिस्तान में मौजूद तालिबान का एक धड़ा यही चाहता है कि पाकिस्तान में भी अफगानिस्तान की तरह कठोर इस्लामी शासन लागू किया जाए, जो काम तालिबानी सरकार वहां कर रही है. यूनिवर्सिटी प्रशासन के इस रुख का वहां के छात्र और छात्राओं ने भी विरोध जताया है.
गौरतलब है कि इससे पहले अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आते ही उसने कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में लड़के-लड़कियों को एक साथ बैठने पर पाबंदी लगा दी थी. क्लास रूम के बीच में पर्दा खींच दिया गया था और बाद में फिर स्कूल और कॉलेजों में लड़कियों के पढ़ने पर ही पाबंदी लगा दी गई. 

Zee Salaam

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