इमरान खान ने एक बार फिर भारत की विदेश नीति की जमकर तारीफ की है. उन्होंने कहा कि दोनों देश एक साथ आज़ाद हुए थे लेकिन भारत आज कहां है हम (पाकिस्तान) कहां है. पढ़ें पूरी खबर
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लाहौर: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर भारत की तारीफ की है. लॉन्ग मार्च को खिताब करते हुए इमरान खान ने फिर से भारतीय विदेश नीति की तारीफ के पुल बांधे हैं. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के चीफ इमरान खान ने शनिवार को कहा कि देश को राष्ट्रीय फैसले खुद लेने चाहिए और देश को गुलाम नहीं बनना चाहिए. पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक खान ने वीडियो लिंक के ज़रिए लॉन्ग मार्च को खिताब करते हुए कहा कि पाकिस्तान दूसरों से मदद मांगने वाले लोगों के लिए नहीं बना था. इमरान ने आगे कहा कि उनकी पार्टी एक आज़ाद देश चाहती है.
इमरान खान ने अफसोस ज़ाहिर करते हुए कहा कि भारत की मिसाल बार-बार बतानी पड़ती है. उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों देशों एक साथ आज़ाद हुआ था. लेकिन भारत के पास एक आज़ाद विदेश नीति है. उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत से इसलिए नाराज़ था क्योंकि वो रूस से तेल ले रहा था लेकिन भारत को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा. उसने अपने लोगों के अपनी बात रखी और मामले को भी सुलझा लिया.
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एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने उन्हें अनडेमोक्रेटिक गेम का प्लेयर बताते हुए कि इमरान खान आर्मी चीफ की नियुक्ति पर विवाद करने के लिए तैयार हैं. भुट्टों ने इस्लामाबाद में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इमरान खान अपने खिलाफ वाली सियासत के जरिए इस अहम पद की नियुक्ति को विवादित बनाना चाहते हैं. खान के लॉन्ग मार्च के पीछे कोई डेमोक्रेटिंग एजेंडा नहीं है.
उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ पाकिस्तान के पीएम ही आर्मी चीफ की नियुक्ति कर सकते हैं और हमारे प्रधानमंत्री जो भी नाम आर्मी चीफ के तौर पर में सलेक्ट करेंगे, हम उसके साथ खड़े होंगे. जरदारी ने खान को सलाह दी कि पहले प्रधानमंत्री को नियुक्ति पर फैसला लेने दें और फिर एक रैली के लिए अपने साथियों के साथ राजधानी राजधानी में उतरें.
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बता दें कि पाकिस्तान मौजूदा आर्मी चीफ रिटायर होने वाले हैं. इस महीने के आखिर में देश को नया फौजी सरबराह मिल जाएगा. लेकिन इमरान खान ने इसको लेकर कहा था कि मौजूदा आर्मी चीफ बाजवी के कार्यकाल को बढ़ा दिया जाए. इसकी पीछे इमरान खान की दलील थी कि इस वक्त जो पाकिस्तान की सत्ता पर लोग बैठे हैं वो ये फैसला करने के हकदार नहीं हैं. वो चाहते हैं कि चुनाव होने के बाद आने वाली सरकार आर्मी चीफ को नियुक्त करे.
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