'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना को लोगों तक पहुंचाने और उन्हें जागरुक करने के लिए सरकार इस योजना के प्रचार-प्रसार के पर सालाना सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च कर रही, लेकिन दूसरी तरफ लड़कियों को स्कूल जाने और उन्हें पढ़ने से रोकने का सिलसिला आज भी जारी है.
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नई दिल्लीः सरकार ने बुधवार को बताया कि 2014-22 के दौरान ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना के लिए मीडिया के माध्यम से इस योजना का प्रचार-प्रसार करने पर 401 करोड़ खर्च किए गए है, जो इस योजना पर कुल खर्च का 54 लगभग फीसदी हिस्सा है. यानी सरकार ने इस योजना को जनता तक पहुंचाने और ’बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का संदेश देने के लिए इतने पैसे खर्च कर दिए. लेकिन यह विडंबना ही है कि एक तरफ सरकार इस योजना में हुए खर्च का जहां ब्यौरा दे रही थी, ठीक उसके एक दिन पहले मध्य प्रदेश के शाजापुर में एक समूह ने यह कह कर एक लड़की को स्कूल जाने से रोक दिया कि दूसरी लड़कियां भी स्कूल नहीं जाती हैं. इस बात पर दो पक्षों में इतना झगड़ा हुआ कि इसमें कई लोग घायल हो गए और बाद में पुलिस को इस मामले में सात लोगों को गिरफ्तार करना पड़ा.
लड़की का बस्ता छीनकर कहा, कल से नहीं जाओगी स्कूल
एक अधिकारी ने बताया कि अवधेश कुमार शेषा ने शिकायत के हवाले से बताया कि घटना उस वक्त हुई जब अनुसूचित जाति समुदाय की 16 वर्षीय लड़की दोपहर स्थानीय स्कूल से पढ़कर घर लौट रही थी. तभी कुछ लोगों ने लड़की का रास्ता रोका लिया, उसका बस्ता छीना और उससे अगले दिन स्कूल नहीं जाने को कहा. लोगों ने कहा कि गांव की बहुत सारी दूसरी लड़कियां भी स्कूल नहीं जाती हैं. बाद में लड़की के परिवार के लोगों और आरोपियों के परिजनों के बीच इसी बात पर झड़प हो गई. शिकायत के बाद पुलिस ने भादंवि और अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत सात लोगों को गिरफ्तार किया है.
कुल बजट का 54 फीसदी प्रचार-प्रसार पर हुआ खर्च
उधर, बुधवार को महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि ’बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना में कितने रुपये सरकार ने खर्च किए हैं. उन्होंने कहा कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य लिंग अनुपात में सुधार करना और बेटी के माता-पिता को बेटियों को उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करना है. स्मृति ईरानी ने कहा कि वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान इस योजना पर 740.18 करोड़ रुपये खर्च हुए और इसमें 401.04 करोड़ रुपये मीडिया के माध्यम से की जाने वाली पैरोकारी पर खर्च हुआ जो कुल खर्च का 54 फीसदी है.
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