RBI says inflation has increased in the country due to people spending more: भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने एक लेख में बतया है कि कोविड प्रतिबंधों के बाद लोगों ने अचानक खरीदारी बढ़ा दी, जिसकी तुलना में माल की आपूर्ति संभव नहीं हुई और इस वजह से देश को मुद्रास्फीति का सामना करना पड़ रहा है.
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मुंबईः भारत के रिजर्व बैंक ने कहा है कि देश में शुरुआती मुद्रास्फीति दबाव आपूर्ति से जुड़े झटकों की वजह से था, लेकिन जैसे-जैसे उनका असर कम हुआ, लोगों ने ‘जबर्दस्त तरीके से खर्च’ (रिवेंज रिबाउंड) करना शुरू कर दिया जिससे महंगाई अब लगातार बनी हुई है. भारतीय रिजर्व बैंक के एक लेख में यह टिप्पणी की गई है. इस लेख में फरवरी, 2022 के बाद से देश में मुद्रास्फीति के रुख का आकलन किया गया है.
रूस-यूक्रेन में चल रहा जंग भी महंगाई के लिए जिम्मेदार
लेख में कहा गया है कि रूस-यूक्रेन में चल रहे जंग की वजह से आपूर्ति पक्ष के झटकों ने खुदरा मुद्रास्फीति को भारतीय रिजर्व बैंक के छह फीसदी के संतोषजनक स्तर से ऊपर कर दिया था. हालांकि, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में घटकर 5.9 फीसदी पर आ गई है. लेख में बताया गया है कि खास तौर पर सब्जियां सस्ती होने से मुद्रास्फीति नीचे आई है. रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा के नेतृत्व वाली एक टीम द्वारा इस लेख को तैयार किया गया है.
क्या होता है ’रिवेंज रिबाउंड’ ?
उल्लेखनीय है कि ’रिवेंज रिबाउंड’ पर आधारित खरीदारी का मतलब है कि महामारी के दौर में लगी बंदिशें हटने के बाद लोगों ने एक तरह से बदला लेने के लिए खूब खरीदारी की है. यह लेख रिजर्व बैंक के मंगलवार को जारी बुलेटिन का हिस्सा है. लेख में भारत में फरवरी, 2022 के बाद से मुद्रास्फीति के रुख का विश्लेषण करने की कोशिश की गई है. इसमें कहा गया है कि जनवरी, 2022 तक महामारी की दो विनाशकारी लहरों का दौर गुजर जाने और प्रतिकूल आधार प्रभाव के साथ फरवरी, 2022 में आरबीआई ने 2022-23 के दौरान औसत मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. यह अनुमान कोरोना वायरस संक्रमण के कम होने, आपूर्ति श्रृंखला के दबाव में कमी आने, सामान्य मानसून और वैश्विक जिंस कीमतों में एक सीमित दायरे में बढ़त पर आधारित था.
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