प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद को याद किया है. उन्होंने आजादी की लड़ाई में अहम किरदार अदा किया.
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता सेनानी आचार्य कृपलानी और मौलाना अबुल कलाम आजाद को शनिवार को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और समाजवादी नेता कृपलानी को पीएम मोदी ने "उपनिवेशवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के सच्चे प्रकाशस्तंभ" के रूप में याद किया. उन्होंने सोशल मीडिया मंच "एक्स" पर लिखा, "लोकतंत्र और सामाजिक समानता को मजबूत करने के लिए कृपलानी के अथक परिश्रम ने हमारे देश के ताने-बाने पर एक स्थाई छाप छोड़ी. उनका जीवन और कार्य स्वतंत्रता और न्याय के मूल्यों को कायम रखने के लिए हमेशा समर्पित था." वहीं, मौलाना अबुल आजाद को याद करते हुए मोदी ने स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री को प्रकांड विद्वान और भारत के स्वतंत्रता संग्राम का स्तंभ बताया. उन्होंने "एक्स" पर एक पोस्ट में कहा, "शिक्षा के प्रति मौलाना अबुल आजाद की प्रतिबद्धता सराहनीय थी. आधुनिक भारत को आकार देने में उनके प्रयास कई लोगों का मार्गदर्शन करते रहेंगे."
I pay homage to Acharya JB Kripalani on his birth anniversary. He is widely respected as a true beacon of India’s fight against colonialism. His tireless work to strengthen democracy and social equality has etched a permanent mark on our nation's fabric. His life and work was…
— Narendra Modi (@narendramodi) November 11, 2023
कौन हैं मौलाना अबुल कलाम आजाज?
आपको बता दें कि मौलाना अबुल कलाम आजाद ने आजादी की लड़ाई में अहम किरदार अदा किया था. वह अरबी, फ़ारसी, तुर्की और उर्दू जबान के माहिर थे. वह शिक्षाविद, शायर और बुद्धिजीवी थे. आजाद का मानना था कि विदेशी शासकों को हराने के लिए सशस्त्र संघर्ष ही एकमात्र समाधान है. अपने दौर में उन्होंने कई क्रांतिकारी संगठन शुरू किए. लेकिन, जनवरी 1920 में जब उनकी पहली मुलाकात महात्मा गांधी से हुई, तो उन्होंने अपना क्रांतिकारी रास्ता छोड़ दिया. इसके बाद से उन्होंने उन्होंने अहिंसा आंदोलन का सपोर्ट किया.
अंगेजों के खिलाफ किया जागरूक
मौलाना अबुल कलाम आजाद ने खिलाफत और असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया और राष्ट्रीय आंदोलन में प्रवेश किया. उन्होंने लोगों को अंग्रेजों के खिलाफ जागरुक करने के लिए कई मैगजीन निकाली, जिसे अंग्रेजों ने बैन कर दिया.
10 साल से ज्यादा रहे जेल में
आजादी की लड़ाई अहम किरदार अदा करने के लिए मौलाना अबुल कलाम आजाद को 10 साल से ज्यादा वक्त तक जेल में रहना पड़ा. आजा साल 1939 में एक बार फिर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने और 1948 तक इस पद पर बने रहे. मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने अलगाववादी विचारधारा का कड़ा विरोध किया और ऐलान किया कि राष्ट्र के लिए आजादी से ज्यादा जरूरी है हिदुओं और मुसलमानों के बीच सद्भाव. आज़ादी के बाद मौलाना अबुल कलाम आजाद पहले शिक्षा मंत्री बने. मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने 22 फरवरी, 1958 को अपनी आखिरी सांस ली.