Mathura Masjid: अब मथुरा मस्जिद का होगा सर्वे, 20 जनवरी को अदालत ने मांगी रिपोर्ट
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Mathura Masjid: अब मथुरा मस्जिद का होगा सर्वे, 20 जनवरी को अदालत ने मांगी रिपोर्ट

Mathura Masjid: मथुरा स्थित श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद में जिला कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर की तरह मस्जिद का सर्वे होगा.

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Mathura Masjid Survey: मथुरा की एक अदालत ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद को लेकर वाराणसी के ज्ञानवापी मामले की तरह ही यहां भी हिन्दू सेना के दावे पर ईदगाह का अमीन सर्वे करने का हुक्म दिया है. कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख 20 जनवरी तय की है. अमीन को उससे पहले सम्बंधित रिपोर्ट अदालत में दाखिल करने की हिदायत दी गई है. याचिका दाखिल करने वाले के वकील शैलेश दुबे ने बताया कि 8 दिसंबर को दिल्ली निवासी हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता और उपाध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने सिविल जज सीनियर डिवीजन (तृतीय) की जस्टिस सोनिका वर्मा की अदालत में यह दावा किया था.

इसमें कहा गया है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन पर औरंगजेब के ज़रिए मंदिर तोड़कर ईदगाह बनाई कराई गई थी. उन्होंने श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर मंदिर बनने तक की पूरी तारीख अदालत के सामने पेश की. उन्होंने साल 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ बनाम शाही ईदगाह के बीच हुए समझौते को भी अवैध बताते हुए रद्द किए जाने की मांग की है. दुबे ने बताया कि अदालत ने वादी की अर्ज़ी सुनवाई के लिए कुबूल करते हुए अमीन के ज़रिए सर्वे कर रिपोर्ट देने का हुक्म दिए हैं. 

इस बारे में पहले 22 दिसंबर को अदालत में सुनवाई होनी थी लेकिन अपरिहार्य (Unavoidable) वजहों से ऐसा नहीं हो सका. हालांकि अब अमीन को 20 जनवरी तक ईदगाह की रिपोर्ट अदालत में पेश करनी होगी.  बता दें कि इससे पहला भी आधा दर्जन से ज्यादा वादी सिविल जज सीनियर डिवीजन (प्रथम) ज्योति सिंह की अदालत में भी यही मांग रख चुके हैं. लेकिन अब तक उन अर्जियों पर कोई फैसला नहीं हो सका है. 

उल्लेखनीय है कि वाराणसी के श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मामले में 17 अगस्त 2021 को पांच महिलाओं ने श्रृंगार गौरी में पूजन और विग्रहों की फिफाज़त को लेकर अर्जी डाली थी. इस पर वहां उस समय तैनात सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी का सर्वे कराने का हुक्म दिया था. बाद में यह मामला शीर्ष अदालत तक पहुंचा.

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