Noman Shauque Poetry: नोमान शौक की किताबों 'अजनबी साअतों के दर्मियान', 'जलता शिकारा ढूंढने में', 'फ़्रीज़र में रखी शाम' और 'अपने कहे किनारे उर्दू' को काफी सराहा गया. पेश हैं उनके मशहूर शेर.
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Noman Shauque Poetry: नोमान शौक उर्दू के अच्छे शायर हैं. उनका पूरा नाम सैयद मोहम्मद नोमान है. उनकी पैदाइश 2 जुलाई 1965 को आरा, बिहार में हुई. उन्होंने शेर कहना 1981 में शुरू किया. अंग्रेज़ी और उर्दू में एम.ए. करने के बाद 1995 में आकाशवाणी से जुड़े. फ़िलहाल आकाशवाणी की विदेश प्रसारण सेवा में काम करते हैं. नोमान शौक के शेर, गजलें, लेख और अनुवाद कई पत्र-पत्रिकाओं में छपे हैं. उनकी गजलें 'आसमानों से जमीं की तरफ आते हुए हम' और 'बताऊं कैसे कि सच बोलना जरूरी है' बहुत मशहूर है.
इश्क़ में सच्चा था वो मेरी तरह
बेवफ़ा तो आज़माने से हुआ
ज़रा ये हाथ मेरे हाथ में दो
मैं अपनी दोस्ती से थक चुका हूँ
कुछ न था मेरे पास खोने को
तुम मिले हो तो डर गया हूँ मैं
दूर जितना भी चला जाए मगर
चाँद तुझ सा तो नहीं हो सकता
रेल देखी है कभी सीने पे चलने वाली
याद तो होंगे तुझे हाथ हिलाते हुए हम
इस बार इंतिज़ाम तो सर्दी का हो गया
क्या हाल पेड़ कटते ही बस्ती का हो गया
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कभी लिबास कभी बाल देखने वाले
तुझे पता ही नहीं हम सँवर चुके दिल से
बड़े घरों में रही है बहुत ज़माने तक
ख़ुशी का जी नहीं लगता ग़रीब-ख़ाने में
तुम तो सर्दी की हसीं धूप का चेहरा हो जिसे
देखते रहते हैं दीवार से जाते हुए हम
जम्हूरियत के बीच फँसी अक़्लियत था दिल
मौक़ा जिसे जिधर से मिला वार कर दिया
मेरी ख़ुशियों से वो रिश्ता है तुम्हारा अब तक
ईद हो जाए अगर ईद-मुबारक कह दो
बस तिरे आने की इक अफ़्वाह का ऐसा असर
कैसे कैसे लोग थे बीमार अच्छे हो गए
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