International Unemployment Day: 6 मार्च विश्व बेराजेगार दिवस की पूर्व संध्या पर इतवार को सरकार ने आंकड़े जारी कर कहा है कि भारत की प्रति व्यक्ति आय 2014-15 के मुकाबले में दोगुनी होकर 1,72,000 रुपये हो गई है.
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नई दिल्लीः विपक्ष और अवाम इस बात का चाहे लाख रोना रो ले कि देश में भूखमरी और बेरोजगारी है, लेकिन सरकार के दावे इससे ठीक उलट हैं. सरकार का दावा है कि भारत की प्रति व्यक्ति आमदनी 2014-15 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के सत्ता में आने के बाद से मामूली रूप से दोगुनी होकर 1,72,000 रुपये हो गई. हालांकि आमदनी का असमान वितरण अभी भी देश में एक समस्या बनी हुई है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक, मौजूदा कीमतों पर वार्षिक प्रति व्यक्ति (शुद्ध राष्ट्रीय आय) 2022-23 में 1,72,000 रुपये होने का अनुमान है, जो 2014-15 में 86,647 रुपये था. इस तरह इसमें लगभग 99 प्रतिशत की वृद्धि देखी जा रही है.
कोविड के बाद सुधर रहे हालात
एनएसओ के आंकड़ों के मुताबिक, कोविड के दौरान प्रति व्यक्ति आय में वास्तविक और नाममात्र दोनों ही तरह से गिरावट आई थी. हालांकि, इसमें 2021-22 और 2022-23 में तेजी आई है. प्रमुख आर्थिक अनुसंधान संस्थान एनआईपीएफपी के पूर्व निदेशक पिनाकी चक्रवर्ती ने कहा कि विश्व विकास संकेतक डेटा बेस के मुताबिक, 2014 से 2019 की अवधि के लिए वास्तविक अवधि में भारत की प्रति व्यक्ति आय की औसत वृद्धि 5.6 प्रतिशत प्रति वर्ष थी. यह वृद्धि महत्वपूर्ण है. हमने स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक और सामाजिक गतिशीलता से संबंधित नतीजों में सुधार देखा है. कोविड ने हमें बुरी तरह प्रभावित किया था, हालांकि, हमने कोविड के बाद महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार देखा है.
ये सभी की आय नहीं है
इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट (आईएसआईडी) के निदेशक नागेश कुमार ने कहा, "प्रति व्यक्ति आय में वास्तविक रूप से वृद्धि हुई है और वे बढ़ती समृद्धि को दर्शाते हैं. हालांकि, ध्यान देने वाली बात यह है कि प्रति व्यक्ति आय भारतीयों की औसत आय है. औसत आय बढ़ती असमानताओं को छिपाते हैं. उच्च अंक में आय के बढ़ने का मतलब आय सीढ़ी के निचले पायदान पर रहने वालों की आय नहीं हो सकती है. "
भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
आईएमएफ के अनुमानों के मुताबिक, भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए ब्रिटेन को पीछे छोड़ चुका है और अब सिर्फ अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी से पीछे है. एक दशक पहले भारत बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में 11वें स्थान पर था जबकि ब्रिटेन पांचवें स्थान पर था. कुमार ने आगे कहा कि भारत विश्व अर्थव्यवस्था में एक उज्ज्वल स्थान बना हुआ है. यह यूक्रेन युद्ध और अन्य अनिश्चितताओं से पैदा हुए विपरीत परिस्थितियों के बावजूद मध्यम अवधि में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बने रहने के लिए तैयार है, क्योंकि दुनिया के कई देश मंदी की चपेट में हैं और कई अन्य संकट के बाद ऋण संकट से जूझ रहे हैं.
10 प्रतिशत आबादी की अर्जित आय, आम लोगों का वेतन कम हुआ
विख्यात विकास अर्थशास्त्री जयति घोष ने प्रति व्यक्ति आय को दोगुना करने के दावों पर कहा, “आप मौजूदा कीमतों में जीडीपी को देख रहे हैं, लेकिन अगर आप मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हैं, तो इस लिहाज से वृद्धि बहुत कम है." जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर ने कहा, "यह वृद्धि अधिकांश आबादी के शीर्ष 10 प्रतिशत के आबादी की अर्जित आय है. इसके विपरीत, औसत वेतन गिर रहा है."
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