Mob Attack on ED: पश्चिम बंगाल के 24 परगना में एक हैरान करने वाली घटना घटी है. यहां पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम तृणमूल कांग्रेस के नेता पर छापेमारी करने के लिए पहुंची थी. लेकिन भीड़ ने ED की टीम पर हमला कर उसे ही घायल कर दिया.
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Mob Attack on ED: पश्चिम बंगाल के 24 परगना में तकरीबन 200 गांव की भीड़ ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) अफसरों पर हमला कर दिया. इस हमले में कम से कम तीन अधिकारी बुरी तरह जख्मी हो गए हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अफसर ने बताया कि उसके अधिकारी, जो पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना में एक तृणमूल कांग्रेस नेता पर छापेमारी करने गए थे, उन पर लगभग एक हजार लोगों की भीड़ ने हमला कर दिया. अधिकारी के मुताबिक यह हमला जान लेने की नियत से किया गया था.
शाहजहां शेख के समर्थकों ने किया हमला
ईडी अधिकारियों पर कथित तौर पर तृणमूल कांग्रेस नेता शाहजहां शेख के समर्थकों की भीड़ ने उस समय हमला किया, जब वे उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली इलाके में उनके आवास की तरफ जा रहे थे. ईडी के अधिकारी राशन वितरण घोटाले के सिलसिले में टीएमसी नेता के घर पर छापेमारी करने वाले थे. केंद्रीय जांच एजेंसी ने एक बयान में कहा कि भीड़ उनकी टीम की ओर बढ़ी और अधिकारियों से मोबाइल, लैपटॉप और नकदी छीन ली.
भीड़ ने ड्यूटी से रोका
जांच एजेंसी ने एक बयान में कहा, "अफसरों को अपनी जान बचाने के लिए बिना तलाशी लिए मौके से भागना पड़ा, क्योंकि भीड़ बहुत हिंसक हो गई. भीड़ ने अधिकारियों का पीछा भी किया ताकि अधिकारियों को उनकी ड्यूटी करने से रोका जा सके." यह भी कहा गया है कि "भीड़ ने ED अधिकारियों के मोबाइल फोन, लैपटॉप, नकदी, वॉलेट आदि जैसे व्यक्तिगत/आधिकारिक सामान भी छीन/लूट/चुरा लिए."
राज्यपाल का बयान
प्रवर्तन निदेशालय ने मामले में पुलिस शिकायत दर्ज की है और घटना के पीछे के लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. इस बीच पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने भी संदेशखाली की घटना पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि बंगाल में हिंसा रोकने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है. बोस ने कहा, "बंगाल में हिंसा रोकने की पूरी जिम्मेदारी सरकार की है. सरकार को प्रभावी ढंग से कार्रवाई करनी चाहिए या अंजाम भुगतना होगा."
इसलिए की गई छापेमारी
कथित राशन वितरण घोटाले के सिलसिले में ईडी कई महीनों से छापेमारी कर रही है. जांच एजेंसी के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में लाभार्थियों के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) का लगभग 30 प्रतिशत राशन खुले बाजार में भेज दिया गया था.