Manipur Violence: मणिपुर के आदिवासी संगठन के नुमाइंदे अमित शाह से करेंगे मुलाकात, होगी इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा
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Manipur Violence: मणिपुर के आदिवासी संगठन के नुमाइंदे अमित शाह से करेंगे मुलाकात, होगी इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा

Manipur Violence: मणिपुर में पिछले तीन महीने से जातीय हिंसा जारी है. इस हिंसा में लगभग 160 लोगों की मौत हो हुई है. मणिपुर के मौजुदा हालात पर आदिवासी संगठन के नुमाइंदे दिल्ली में अमित शाह के साथ चर्चा करेंगे. 

Manipur Violence: मणिपुर के आदिवासी संगठन के नुमाइंदे अमित शाह से करेंगे मुलाकात, होगी इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा

Manipur Violence:  मणिपुर में पिछले करीब तीन महीने से जातीय हिंसा के आग में झुलस रहा है. इस हिंसा में लगभग 160 लोगों की मौत हुई है. इस हिंसा को लेकर मणिपुर के एक असरदार आदिवासी संगठन का नुमाइंदा हिंसा ग्रस्त राज्य के मौजूदा हालात पर चर्चा के लिए सोमवार को दिल्ली में देश के गृह मंत्री अमित शाह के साथ बौठक में हिस्सा लेंगे.  

सुत्रों के मुताबिक, मणिपुर में जो जातीय समूह का प्रतिनिधित्व कर रहे 'इंडीजीनियस ट्राइबल लीडर्स फोरम' (ITLF) का प्रतिनिधिमंडल गृहमंत्री अमित शाह के बुलावा पर राष्ट्री राजधानी की यात्रा कर रहे हैं. ITLF नेता मणिपुर के चुराचांदपुर से मिजोरम की राजधानी आइजोल पहुंचे. जहां सभी नेता लेंगपुई हवाई अड्डे से दिल्ली के लिए रवाना हो गए. 

मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर जारी एक पोस्ट में उम्मीद जताई कि बातचीत के सार्थक परिणाम निकलेंगे. उन्होंने कहा, "आईटीएलएफ नेताओं ने शनिवार को दिनभर आपस में चर्चा की और उनसे सलाह-मशविरा किया कि निमंत्रण स्वीकार किया जाए या नहीं. मैंने सुझाव दिया कि उन्हें निमंत्रण स्वीकार करना चाहिए. मैंने उनसे कहा कि यह गृह मंत्री के साथ आमने-सामने बैठकर चर्चा करने का अच्छा अवसर है. इसके बाद ITLF नेता सर्वसम्मति से अमित शाह से मुलाकात करने के लिए राजी हो गए."

जानकारी के लिए बता दें कि गृह मंत्री  शाह ने आईटीएलएफ नेताओं को मणिपुर की स्थिति पर चर्चा करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में उनके साथ बैठक करने का निमंत्रण दिया था. अभी इस संबंध में आईटीएलएफ नेताओं की कोई टिप्पणी नहीं आई है. 

19 अप्रैल 2023 को मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई को भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था. कोर्ट के इसी आदेश के बाद आदिवासी और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसा शुरू हुआ था. 

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