केरल के 24 फीसदी मुस्लिम वोटर्स किसके साथ; CPI (M) या कांग्रेस का देंगे साथ ? जानें पूरा समीकरण
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केरल के 24 फीसदी मुस्लिम वोटर्स किसके साथ; CPI (M) या कांग्रेस का देंगे साथ ? जानें पूरा समीकरण

Kerala Lok Sabha Chunav 2024: केरल में राज्य की 3.30 करोड़ आबादी में 24 फीसदी मुस्लिम समुदाय हैं, जबकि ईसाई की हिस्सेदारी 17 फीसदी है. हालांकि, यहां 24 फीसदी मुस्लिम वोटर्स पर जीत हार का फैसला करते हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि इसबार मुस्लिम कम्युनिटी किस तरफ है.

 

केरल के 24 फीसदी मुस्लिम वोटर्स किसके साथ; CPI (M) या कांग्रेस का देंगे साथ ? जानें पूरा समीकरण

Kerala Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के वोटिंग को शुरू होने में बस कुछ ही दिन बचे हैं.  लेकिन सबकी निगाहें केरल की 24 फीसदी मुस्लिम वोटरों पर टिकी हैं, जो यहां की सियासत में गेम चेंजर की भूमिका में हैं. यही कारण है की सीएम पिनाराई ने विजयन इन वोटरों को साधने के लिए पूरा जोर लगा दिया है.  सीएम पिछले एक सप्ताह से राज्य भर में कैंपेन के दौरान नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के मुद्दे को उठा रहे हैं और वामपंथी इसे कैसे देखते हैं इस पर जोर दे रहे हैं. वाम नेता विजयन ने सीएए मुद्दे को नहीं उठाने के लिए कांग्रेस की आलोचना भी कर रहे हैं. केरल में 26 अप्रैल को दूसरे चरण में मतदान होगा. 

केरल में राज्य की 3.30 करोड़ आबादी में 24 फीसदी मुस्लिम समुदाय हैं, जबकि ईसाई की हिस्सेदारी 17 फीसदी है. हालांकि, ईसाई कम्युनिटी का वोटिंग पैटर्न वही रहता है, जो हमेशा से है. यही कारण है कि कांग्रेस को यहां पर थोड़ी बढ़त हासिल है.

वामपंथियों के 2019 में हारने के ये थे दो कारण   
अगर पिछले 2019 के लोकसभा चुनावों की बात करें तो वामपंथियों ने काफी खराब प्रदर्शन किया और सिर्फ एक सीट जीत सकी थी. जबकि कांग्रेस की वाली यूडीएफ ने बड़ा उलटफेर करते हुए 19 सीटों पर जीत हासिल की थीं. वहीं, भाजपा यहां पर खाता भी नहीं खोल सकी थी. वामपंथियों का साल 2019 में इस तरह के प्रदर्शन की मुख्य वजह क्या है? आइए जानते हैं.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि वामपंथ की हार के दो प्रमुख कारण थे, जिसमें  पहला था वायनाड के उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का आश्चर्यजनक आगमन और दूसरा सीएम विजयन द्वारा लिया गया सबरीमाला मंदिर पर रुख. जिसके कारण 2019 के चुनाव में मुसलमानों ने कांग्रेस को भारी तादाद में वोट दिया.

विजयन इसमें है माहिर
हालांकि, तुष्टिकरण की सियासत में माहिर सीएम विजयन ने इस ट्रेंड को उलट दिया और उन्होंने साल 2021 के विधानसभा चुनावों में राज्य में पद बरकरार रखकर एक रिकॉर्ड कायम किया. भले ही सीएम विजयन की जीत का क्रेडिट उनके द्वारा कोविड महामारी से निपटने के तरीके को दिया गया. लेकिन माना जाता है कि वामपंथियों के लिए मुस्लिम वोटरों ने बड़े पैमाने पर मतदान कर उनकी जीत को सुनिश्चित किया.

मुस्लिम वोटरों को साधने में कांग्रेस और वामपंथी दल   
वहीं, मंगलवार को सीएम विजयन ने विपक्ष के नेता वीडी सतीसन की जमकर आलोचना की. सीएम विजयन ने कहा, "वह (सतीसन) झूठ बोल रहे हैं और उनके चुनावी घोषणापत्र में सीएए का कोई जिक्र नहीं है". नाम न छापने की शर्त पर एक राजनीतिक एक्सपर्ट ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव और 2021 के विधानसभा चुनाव में मतदान का पैटर्न साफ था और इस बार भी मुस्लिम कम्युनिटी  जिस तरह से सोच रहा है वह निर्णायक फैसला हो सकता है.

विश्लेषक ने कहा, "वामपंथी और कांग्रेस मुस्लिम समुदाय को साधने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, क्योंकि जो कोई भी उनके वोटों का बड़ा हिस्सा हासिल करने में कामयाब होगा, उसे फायदा होगा और सबसे बड़ी हार भाजपा की होगी."

2019 के चुनाव कांग्रेस को मिले सबसे ज्यादा वोट
2019 के लोकसभा चुनावों में केरल में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन तीसरे पायदान पर रही और मात्र 15.64 फीसदी वोट शेयर हासिल कर पाया. वहीं, 19 सीटें जीतने वाली कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ को 47.48 फीसदी वोट मिले, जबकि  सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे को सिर्फ एक सीट मिली और उन्हें  36.29 प्रतिशत वोट मिले.

 

 

 

 

 

 

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