केरल: मस्जिद के मौलाना की बेरहमी से की थी हत्या, 7 साल बाद RSS के 3 कार्यकर्त्ता बरी
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केरल: मस्जिद के मौलाना की बेरहमी से की थी हत्या, 7 साल बाद RSS के 3 कार्यकर्त्ता बरी

Kerala News:  कर्ट ने मामले में 97 गवाहों, 215 दस्तावेजों और 45 फिज्कल एविडेंस की जांच की, और 90 दिनों के भीतर चार्ज शीट दायर की गई थी. अदालत में मौजूद मौलाना की बीवी मीडिया के सामने रो पड़ीं और कहा कि यह फैसला 'निराशाजनक' है.

केरल: मस्जिद के मौलाना की बेरहमी से की थी हत्या, 7 साल बाद RSS के 3 कार्यकर्त्ता बरी

Kerala News: केरल के कासरगोड जिले की एक कोर्ट ने साल 2017 में एक मस्जिद के अंदर एक मदरसा टीचर की हत्या से जुड़े मामले में शनिवार (30 मार्च ) को RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के तीन वर्कर्स को बरी कर दिया. कासरगोड के सेशन जज के. के. बालाकृष्णन ने मामले के तीन मुल्जिमों को बरी करने का हुक्म दिया.

तीनों मुल्जिम अखिलेश, जितिन और अजेश केलुगुडे के रहने वाले हैं. ये तीनों आरोपी इस केस में पिछले सात साल से जेल में कैद थे. मोहम्मद रियाज मौलाना (34) कासरगोड के पास के चूरी में मौजूद एक मदरसे में पढ़ाते थे. मौलाना की 20 मार्च, 2017 को मस्जिद में उनके रूम में मर्डर कर दिया गया था. चूरी के मुहयुद्दीन जुमा मस्जिद के अहाते में एक गिरोह ने घुसकर मौलवी की गला काट कर हत्या को अंजाम दिया था. जिसके बाद पुलिस ने इस मामले में RSS के तीन कार्यकर्ताओं को अरेस्ट किया था.  

फैसला के खिलाफ अपील
इस बीच, अभियोजन पक्ष ने फैसले पर निराशा जाहिर की और कहा कि वे इस हुक्म के खिलाफ अपील करेंगे. स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर सी शु्क्कुर ने कहा, "मामले में पुख्ता सबूत थे. एक मुल्जिम के कपड़ों पर मौलवी के खून के छींटे पाये गये थे. आरोपियों द्वारा इस्तेमाल किए गए चाकू पर मौलवी के कपड़े का एक टुकड़ा पाया गया था. हमने सभी सबूत सौंप दिये थे. हम अपील दायर करने के लिए डिटेल फैसले का इंतजार कर रहे हैं."

"अदालत का यह फैसला निराशाजनक" 
कर्ट ने मामले में 97 गवाहों, 215 दस्तावेजों और 45 फिज्कल एविडेंस की जांच की, और 90 दिनों के भीतर चार्ज शीट दायर की गई थी. अदालत में मौजूद मौलाना की बीवी मीडिया के सामने रो पड़ीं और कहा कि (यह) हुक्म 'निराशाजनक' है. पीड़िता के परिवार के मेंबरों ने कहा कि उन्होंने इस मामले में इस तरह के फैसले की कभी उम्मीद नहीं की थी. मौलाना के परिवार वालों ने कहा, "इस मामले में अदालतों ने पिछले सात सालों से आरोपियों को जमानत तक नहीं दी. आरोपी किसी भी तरह से मौलाना से जुड़े नहीं थे. यहां तक कि पुलिस चार्ज-शीट में भी साफ तौर रूप से उल्लेख किया था कि यह जुर्म इलाके में सांप्रदायिक अशांति पैदा करने की एक कोशिश थी."
 
बता दें कि चार्ज-शीट और रिमांड रिपोर्ट में कहा गया है कि मुल्जिम इलाके में सांप्रदायिक अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे थे. 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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