कन्नड़ साहित्य सम्मेलन में मुस्लिम लेखकों की उपेक्षा; विरोध में उठाया गया ये यूनिक कदम
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कन्नड़ साहित्य सम्मेलन में मुस्लिम लेखकों की उपेक्षा; विरोध में उठाया गया ये यूनिक कदम

Kannada literary festival runs into controversy for ignoring Muslim authors: अखिल भारतीय कन्नड़ साहित्य सम्मान के लिए पैनल और अचीवर्स का चयन विवादों में घिर गया है, क्योंकि सोशल मीडिय यूजर्स ने  इस सम्मेलन के आयोजनकर्ता पर पक्षपात का आरोप लगाया है.

कन्नड़ साहित्य सम्मेलन में मुस्लिम लेखकों की उपेक्षा; विरोध में उठाया गया ये यूनिक कदम

बेंगलुरुः कर्नाटक में कन्नड़ साहित्य परिषद द्वारा आयोजित 86वें अखिल भारतीय कन्नड़ साहित्य सम्मेलन का शुक्रवार को हावेरी जिले में बड़े धूमधाम से उद्घाटन किया गया. हालाँकि, उदघाटन के कुछ ही देर बाद मुस्लिम लेखकों और साहित्यकारों की उपेक्षा करने के कारण यह साहित्यिक उत्सव विवादों में घिर गया है. तीन दिवसीय कन्नड़ साहित्य सम्मेलन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के आबाई शहर हावेरी में आयोजित किया जा रहा है.
अखिल भारतीय कन्नड़ साहित्य सम्मान के लिए पैनल और अचीवर्स का चयन विवादों में घिर गया है, क्योंकि सोशल मीडिय यूजर्स ने  इस सम्मेलन के आयोजनकर्ता पर पक्षपात का आरोप लगाया है. हालाँकि, कन्नड़ साहित्य परिषद बिना किसी रुकावट के अपना आयोजन जारी रख रहा है. आरोप है कि अलग-अलग क्षेत्रों के 83 अचीवर्स में से किसी भी मुस्लिम लेखक को नहीं चुना गया है. इसके अलावा मुख्य मंच पर नौ सेमिनारों में से किसी भी मुस्लिम लेखक को आमंत्रित नहीं किया गया है. 

मुस्लिम लेखक को अवसर नहीं मिला 
कवि सम्मेलन में भी एक भी मुस्लिम लेखक को अवसर नहीं मिला है, और तटीय कर्नाटक के मुसलमानों द्वारा बोली जाने वाली ब्यारी भाषा को भी इस सम्मेन में जगह नहीं दी गई है, जबकि कोंकणी, सोलिगा, तुलु और कोडवा जैसी अन्य बोलियों के लेखकों को इस सम्मेलन में स्थान दिया गया है. 

मुस्लिम लेखकों की उपेक्षा के विरोध में उठाया ये कदम 
मुस्लिम लेखकों के प्रति इस ’पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण’ का विरोध करते हुए, कन्नड़ कार्यकर्ताओं और समान विचारधारा वाले साहित्यकारों ने 8 जनवरी को बेंगलुरु में एक दिवसीय समानांतर साहित्यिक सम्मेलन का आयोजन किया है. जाने-माने कन्नड़ लेखक भानु मुश्ताक को इसका अध्यक्ष बनाने का फैसला किया गया है. इस सम्मेलन का उद्घाटन दलित लेखक और सेवानिवृत्त नौकरशाह मूडनाकुडु चिन्नास्वामी करेंगे. कार्यक्रम का अयोजन पूर्व छात्र संघ के बेंगलुरु के के.आर. सर्कल में किया जाएगा. सम्मेलन को ’जन साहित्य सम्मेलन’ का नाम दिया गया है. 'भोजन पर प्रभुत्व और राजनीति’, 'अल्पसंख्यकों और दलितों पर हमले’, 'साहित्य जगत की जिम्मेदारियां’, 'कन्नड़ भाषा में ईसाई मिशनरियों का योगदान’ जैसे विषयों को पेश किया जाएगा. 

क्या है कन्नड़ साहित्य सम्मेलन ?  
गौरतलब है कि कन्नड़ साहित्य सम्मेलन लेखकों, कवियों और कन्नड़ प्रेमियों का प्रमुख जमावड़ा होता है. यह कन्नड़ भाषा, कला, संस्कृति और संगीत के संरक्षण और विकास के उद्देश्य से आयोजित किया जाता है. कन्नड़ साहित्य परिषद एक प्रमुख एजेंसी है जो कन्नड़ भाषा और इसके साहित्य को बढ़ावा देती है, जिसके वर्तमान अध्यक्ष महेश जोशी हैं.

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