बांग्लादेश के बच्चे अरहत आयदीन को दिल्ली के एम्स में मिली नई जिंदगी; दुर्लभ बीमारी से था पीड़ित
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बांग्लादेश के बच्चे अरहत आयदीन को दिल्ली के एम्स में मिली नई जिंदगी; दुर्लभ बीमारी से था पीड़ित

पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश का यह बच्चा ‘जायंट ओसीसीपिटल एन्सेफेलोसेले’ नामक एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित था, जिसमें मरीज के सिर का आकार बढ़ जाता है. एम्स के डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर उसके सिर का आकार सही कर दिया है.  

पीड़ित बच्चा

नई दिल्लीः भारत स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर सुविधाओं के लिए दुनिया के कई देशों के मरीजों के लिए मददगार साबित हो रहा है. दुलर्भ बीमारियों के साथ ही सस्ते इलाज के केंद्र के तौर पर भारत एशियाई देशों के बीच काफी लोकप्रिय हो रहा है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में पड़ोसी देश बांग्लादेश की एक बच्ची की दुलर्भ बीमारी का ऑपरेशन कर उसे नया जीवन दिया गया है. एम्स के डॉक्टरों ने दुर्लभ जन्मजात बीमारी से पीड़ित तीन महीने के एक बांग्लादेशी बच्चे की कामयाबी सर्जरी की है. डॉक्टरों ने उसके दिमाग के एक उभरे हुए हिस्से को हटाकर सिर को सही आकार प्रदान किया है.

क्या होती है ये बीमारी ? 
दरअसल, पड़ोसी मुल्क का यह बच्चा ‘जायंट ओसीसीपिटल एन्सेफेलोसेले’ नामक एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित था. यह एक जन्मजात रोग होता है. इसमें बच्चों का दिमाग किसी थैली की तरह फैल जाता है. एम्स में ‘न्यूरोसर्जरी’ विभाग के प्रोफेसर डॉ. दीपक कुमार गुप्ता ने बताया कि अगर इसका वक्त पर इलाज नहीं किया जाता तो यह फट सकता है, जिससे ‘मेनिनजाइटिस’ नामक संक्रमण हो सकता है और बच्चे की मौत तक हो सकती है.

तीन घंटे लंबी चली बच्चे की सर्जरी 
एम्स में चली तीन घंटे की लंबी सर्जरी के दौरान, डॉक्टरों ने थैली को हटा दिया और खोपड़ी के आकार को ठीक कर दिया है. डॉक्टरों ने कहा, “खोपड़ी के पिछले हिस्से में काफी सूजन होने से बच्चे को परेशानी होती है. दूध पिलाने व नर्सिंग में कठिनाई होती है और दिमाग के सूजन वाले ऊतकों के अचानक फटने का हमेशा डर बना रहता है.” 

क्यों होती है यह बीमारी ? 
इस मामले में, न्यूरोसर्जन ने कहा कि मां ने कोई फोलेट (फोलिक एसिड टैबलेट) नहीं लिया, जो इस स्थिति के पीछे की एक वजह हो सकती है. फोलिक एसिड भ्रूण के न्यूरल ट्यूब की खराबी को रोकता है. यह मामला गर्भ धारण करने की योजना बना रही प्रजनन आयु समूह की सभी महिलाओं में फोलिक एसिड पूरकता की आवश्यकता पर जोर देता है. इसलिए डब्ल्यूएचओ ने 2009 में सिफारिश की थी कि गर्भवती महिलाओं को कम से कम 400 माइक्रोग्राम प्रति दिन फोलिक एसिड का सेवन करना चाहिए. फोलिक एसिड का यह डोज स्पाइना बिफिडा और एनासेफली, एन्सेफेलोसेले और संबंधित विकलांगता और मृत्यु दर के प्रसार को कम करने में मददगार साबित होता है. 

सोमवार को बच्चे को मिल सकती है अस्पताल से छुट्टी 
डॉ. गुप्ता ने बताया कि बच्चे के पिता आबिद आजाद ने कुछ महीने पहले उनसे संपर्क किया था. डॉक्टर ने बताया कि बच्चे की कैफियत का मूल्यांकन करने के बाद, हमने सर्जरी करने का फैसला किया था. 12 दिसंबर को सर्जरी की गई, जिसके दौरान मस्तिष्क के उभरे हुए गैर-जरूरी हिस्से को काटकर दिया गया, जिसने एक थैली का आकार ले लिया था. सर्जरी के दौरान सभी सामान्य ऊतकों को संरक्षित किया गया था और उसी समय ‘एक्सपेंसाइल क्रैनियोप्लास्टी’ की गई ताकि दिमाग को भविष्य में बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिलती रहे.” डॉ. गुप्ता ने कहा कि ऑपरेशन के छह दिन बाद बच्चा अरहत आयदीन बिल्कुल ठीक है और सोमवार को उसे छुट्टी मिलने की संभावना है. अरहत का जुड़वां भाई पूरी तरह सेहतमंद है और वह बांग्लादेश में अपनी मां के साथ है. उसके पिता ने सर्जरी के लिए दिल्ली की यात्रा की और अब अकेले उसकी देखभाल कर रहे हैं.

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