Ragging in Indore Medical College: इंदौर के सरकारी मेडिकल कॉलेज के एक छात्र ने अपने सीनियर छात्रों की रैगिंग से तंग आकर यूजीसी की हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद कॉलेज प्रशासन में हड़कंप मच गया है.
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इंदौरः कॉलेजों में दाखिला लेने वाले नए छात्रों के साथ कॉलेज के सीनियर छात्रों द्वारा ली जाने वाली रैंगिंग देश भर में प्रतिबंधित है. इस अपराध घोषित किया जा चुका है. यहां तक कि कॉलेज में दाखिले के वक्त छात्रों से इस बात का हलफनामा लिया जाता है कि वह रैंगिंग जैसे अपराधों से खुद को दूर रखेंगे, लेकिन इसके बावजूद देशभर के कॉलेजों में रैगिंग की घटनाएं होती रहती है. ताजा मामला मध्य प्रदेश के एक मेडिकल कॉलेज का है, जहां सीनियरों ने अपने जुनियर की रैगिंग लेने में सारी शर्म और हया की सीमा लांघ दी है.
अज्ञात सीनियर छात्रों के खिलाफ मुकदमा
इंदौर के सरकारी महात्मा गांधी स्मृति मेडिकल कॉलेज में रैगिंग का मामला सामने आया था. इस घटना की जांच के दौरान पुलिस को पता चला है कि रैगिंग के दौरान कॉलेज के सीनियर छात्रों ने अपने जूनियर छात्रों से कथित तौर पर कहा था कि वे तकिये के साथ यौन संबंध बनाए. पुलिस के एक अफसर ने शुक्रवार को बताया कि एक पीड़ित छात्र द्वारा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की हेल्पलाइन पर शिकायत करने के बाद हरकत में आए महाविद्यालय प्रबंधन ने अज्ञात सीनियर छात्रों के खिलाफ 24 जुलाई की देर रात आपराधिक मामला दर्ज कराया था.
यूजीसी की हेल्पलाइन पर छात्र ने की थी शिकायत
संयोगितागंज पुलिस थाना प्रभारी तहजीब काजी ने बताया कि इस मामले में पुलिस तकनीकी सबूत जुटाकर इनके बुनियाद पर आरोपियों की पहचान कर रही है. उन्होंने बताया कि हमें जांच के दौरान सुराग मिला है कि सीनियर छात्र रैगिंग के दौरान जूनियर छात्रों को तकिये के साथ यौन क्रिया करने को कहते थे. उन्होंने कहा कि हम इस बात की तस्दीक की कोशिश कर रहे हैं. थाना प्रभारी के मुताबिक मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल के बाहर रहने वाले जूनियर छात्र ने यूजीसी की हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराते वक्त न तो अपनी पहचान जाहिर की थी, न ही उन सीनियर छात्रों के नाम बताए थे जो उनके साथ कथित रैगिंग करते थे.
पुलिस ने जूनियर छात्रों को भेजा बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस
काजी ने बताया कि हमने 97 जूनियर छात्रों को नोटिस भेजकर कहा है कि अगर उन्हें रैगिंग के बारे में कोई जानकारी है, तो वे इसे पुलिस के साथ शेयर कर सकते हैं. रैगिंग के सिलसिले में सूचना देने वालों की पहचान गुप्त रखी जाएगी. अफसरों ने बताया कि शिकायतकर्ता छात्र द्वारा रैगिंग के इल्जामों को लेकर मुहैया कराया गया डेटा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा पुलिस को जांच के लिए पहले ही सौंपा जा चुका है. यह मामला सामने आने के बाद मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने दावा किया था कि रैगिंग की घटना कॉलेज और इसके हॉस्टल के परिसरों के बाहर की है.
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