Green Crackers भारतीय मार्केट में महज 5 साल पहले ही आए हैं. इन पटाखों को पहली बार साल 2018 में CSIR (Council of Scientific & Industrial Research) के गाइडेंस में NEERI (National Environmental Engineering Research Institute) द्वारा डिज़ाइन किया गया था.
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Diwali 2023: दिवाली के आने से पहले ही प्रदूषण ने दस्तक दे दी है. देश के ज्यादातर बड़े शहरों में AQI (Air Quality Index) लेवल खतरे से कहीं ज्यादा उपर पहंच गया है. जिसकी वजह से अलग-अलग राज्य ने इसको लेकर अलग-अलग इंतेजाम किए है. दिल्ली में किसी भी तरह के पटाखों को बेचने, रखने और जलाने पर बैंन लगा दिया गया है. जबकी कुछ राज्यों में ग्रीन फायर-क्रेकर जलाने की इजाजत है. आप सोच रहे होंगे ये ग्रीन फायर-क्रेकर क्या होते हैं. ग्रीन फायर क्रेकर भारतीय मार्केट में महज 5 साल पहले ही आए हैं. इन पटाखों को पहली बार साल 2018 में CSIR (Council of Scientific & Industrial Research) के गाइडेंस में NEERI (National Environmental Engineering Research Institute) द्वारा डिज़ाइन किया गया था.
आम पटाखों और ग्रीन पटाखों में क्या फर्क होता है?
हलांकि दोनों ही तरह के पटाखें जलाने से प्रदूषण होता है. लेकिन ग्रीन पटाखें जलाने से 30% कम प्रदूषण होता है. ग्रीन पटाखे उत्सर्जन को काफी हद तक कम करते हैं और धूल को सोख लेते है. इसमें बेरियम नाइट्रेट जैसे खतरनाक तत्व नहीं होते हैं. आम पटाखें जहरीली धातुओं से तैयार होते हैं. आम पटाखे 160-200 डेसिबल की आवाज़ पैदा करते हैं, जबकि हरे पटाखों लगभग 100-130 डेसिबल तक सीमित होते हैं. ग्रीन पटाखों को जलाने की अनुमति सिर्फ उन्हीं शहरों में दी गई है, जहां हवा की गुणवत्ता खतरे के निशान को पार नहीं करी है.
मार्केट में ग्रीन पटाखें कैसे पहचाने?
ग्रीन पटाखें तीन कैटेगरी में आते हैं, SWAS, SAFAL और STAR आप इन तीन कैटेगरी के ही पटाखे खरीदें. इन्हें वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद द्वारा बनाया जाता है.
SWAS (सेफ वाटर रिलीज़र) में छोटी पानी की बूंदे होती है, जो फटने के बाद हवा में भाप छोड़ कर पटाखों से निकलने वाली धूल को दबा कर हवा में फैलने नहीं देती. इसमें पोटैशियम नाइट्रेट और सल्फर नहीं होते.
सेफ थर्माइट क्रैकर (STAR) SWAS की तरह STAR में भी सल्फर और पोटेशियम नाइट्रेट नहीं होते हैं तथा कण धूल कम करने के अलावा इसमें आवाज़ भी कम होती है.
SAFAL (सेफ मिनिमल एल्युमिनियम) यह एल्युमिनियम मेटेरियल को मैग्नीशियम से बदल देता है जिसके बाद इसके प्रदूषकों के लेवल कम हो जाता है.
आपको जिम्मेदार नागरिक होने के नाते किसी भी तरह के पटोखें नहीं जालाने चाहिए. लेकिन अगर आपकी दिवाली पटाखों बिना अधूरी होती है तो आप ग्रीन पटाखों की तरफ जा सकते हैं.