बिहार में बिसफी के भाजपा विधायक हरीशभूषण ठाकुर बछौल ने कहा कि जदयू नेताओं ने आग में घी डालने का काम किया है. वहीं जदयू और भाजपा गठबंधन के बीच अब आरपार की लड़ाई सामने आ गयी है.
Trending Photos
पटनाः बिहार में ‘अग्निपथ’ स्कीम को लेकर हुए हिंसक विरोध-प्रदर्शन के बाद राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा और जदयू गठबंधन के बीच दरार साफ नजर आने लगा है. भाजपा के नेता इस पूरे प्रकरण में जदयू और राजद का हाथ होने का आरोप लगा रहे हैं. यहां तक कि जदयू और भाजपा गठबंधन के बीच अब आरपार की लड़ाई सामने आ रही है. वहीं, सोमवार को भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक ने सोमवार को इल्जाम लगाया कि बिहार में ‘अग्निपथ’ स्कीम के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा और आगजनी के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करने वाले ‘जिहादी’ थे.विधायक ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड के ‘बड़े नेताओं’ के बयानों से इन लोगों को बल मिला है.
#WATCH | People who are anti-national and have a 'Jihadi' mentality are protesting against the #AgnipathScheme... It's not a job (serving in Army)..: Bihar BJP MLA Hari Bhushan Thakur on protests against Agnipath scheme pic.twitter.com/lrXKsCsVB8
— ANI (@ANI) June 20, 2022
जदयू का जनता के साथ कोई जुड़ाव नहीं है
बिसफी के विधायक हरीशभूषण ठाकुर बछौल ने मुख्यमंत्री की पार्टी पर तंज कसते हुए कहा कि ‘जदयू का जनता के साथ कोई जुड़ाव नहीं है’ और ‘नीतीश कुमार के नही रहने पर पार्टी का वजूद खत्म होने की आशंका है. बछौल जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्लन और संसदीय बोर्ड के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेताओं के बारे में पूछे गए सवालों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिन्होंने विरोध को ‘स्वाभाविक’ करार दिया था और सशस्त्र बलों में भर्ती की नई योजना ‘अग्निपथ’ को वापस लेने का सुझाव दिया था.
नीतीश के निधन पर जदयू का क्या होगा?
हरीशभूषण ठाकुर बछौल ने जदयू नेताओं के इस सुझाव का मजाक भी उड़ाया कि भाजपा को जनता के बीच जाना चाहिए और अग्निपथ के बारे में गलतफहमियों को दूर करना चाहिए, ताकि इस संकट से निपटा जा सके. भाजपा नेता ने सवाल किया, “क्या वे लोगों के बीच हमसे ज्यादा सक्रिय हैं? हम 1951 से जनता की सेवा में जुटे हुए हैं और 2051 में भी मजबूत स्थिति में रहेंगे. ईश्वर नीतीश कुमार को लंबी उम्र दे, लेकिन उनका निधन हो गया तो जदयू का क्या होगा?” गौरतलब है कि भाजपा 1980 के दशक में वजूद में आई थी। जबकि, उसके पिछले अवतार भारतीय जनसंघ, जिसका विलय आपातकाल के बाद जनता पार्टी में हुआ था, की स्थापना 1950 के दशक में की गई थी.
विधायक पहले भी खड़ा कर चुके हैं बवाल
बछौली अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. राज्य विधानसभा के बजट सत्र के दौरान उन्होंने सदन में वंदे मातरम का नारा लगाने से इनकार करने पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की थी. इससे पहले, उन्होंने मुख्यमंत्री के जन्मस्थान बख्तियारपुर का नाम बदलकर ‘नीतीश नगर’ रखने का सलाह दिया था. इस सुझाव पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताई थी और भाजपा नेता के इस तर्क पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी कि शहर का नाम ‘इस्लामी आक्रांता’ बख्तियार खिलजी के नाम पर रखा गया है.
Zee Salaam