Bihar Politics: नीतीश कुमार के पुत्र निशांत संभालेंगे JDU की कमान; "खेतीबाड़ी नहीं करेगा नेता का बेटा"
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Bihar Politics: नीतीश कुमार के पुत्र निशांत संभालेंगे JDU की कमान; "खेतीबाड़ी नहीं करेगा नेता का बेटा"

Bihar Politics: सीएम नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार की राजनीति में आने की चर्चा के बीच राज्य में सियासत गर्म हो गई है. क्योंकि भाजपा चुनाव के दौरान परिवारवाद को लेकर बेहद आक्रामक रुख अपनाती है. 

Bihar Politics: नीतीश कुमार के पुत्र निशांत संभालेंगे JDU की कमान; "खेतीबाड़ी नहीं करेगा नेता का बेटा"

Bihar Politics: बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार की राजनीति में आने की चर्चा के बीच राज्य में सियासत गर्म हो गई है. क्योंकि भाजपा चुनाव के दौरान परिवारवाद को लेकर बेहद आक्रामक रुख अपनाती है. हमेशा से बीजेपी परिवारवाद की राजनीति का विरोध करती है और खासकर कांग्रेस पार्टी, राजद और सपा पर परिवारवाद की राजनीति का इल्जाम लगाती है. इस बीच जदयू की सांसद लवली आनंद ने इस फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा, "ऐसी कोई बात उन्होंने सुनी नहीं है, लेकिन वे (निशांत कुमार) राजनीति में आते हैं तो स्वागत योग्य बात है. नेता का बेटा पॉलिटिक्स नहीं करेगा तो क्या खेतीबाड़ी करेगा?" इस बयान को RJD ने किसानों का अपमान बताया है. 

राजद ने किया पलटवार
जदयू की सांसद लवली आनंद ने कहा, "डॉक्टर का बच्चा डॉक्टर होता है, वकील का बच्चा वकील और इंजीनियर का बच्चा इंजीनियर होता है, अगर नेता का बेटा पॉलिटिक्स में आएगा तो क्या गलत है?" इस बयान के बाद राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने पलटवार करते हुए इसे मुल्क के किसानों का अपमान बताया है. उन्होंने कहा, "लवली आनंद को किसानों से माफी मांगनी चाहिए."

राजद प्रवक्ता ने बोला हमला
मृत्युंजय तिवारी ने कहा, "यह बयान देश के किसान भाइयों के लिए अपमानजनक है. मुल्क की आत्मा किसानों में बसती है और 140 करोड़ नागरिकों का पेट उन्हीं किसानों की मेहनत से भरता है. लोग गर्व से कहते हैं कि हम किसान के बेटे हैं और किसान का बेटा भी मंत्री, आईएएस और दूसरे उच्च पदों पर पहुंच सकता है."

कांग्रेस पर लगता रहा है भाई-भतीजावाद का आरोप
अगर 'परिवारवाद की राजनीति' की बात करें, तो कांग्रेस पार्टी सबसे पहले आती है. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर भी  'परिवारवाद की राजनीति' का आरोप लगा था. क्योंकि उन्होंने अपनी बेटी इंदिरा गांधी को अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया था. इसके बाद जब इंदिरा गांधी देश की पीएम बनीं तो उनके मंत्रिमंडल में उनके परिवार का कोई सदस्य शामिल नहीं किया गया, लेकिन संजय गांधी पर सरकार के काम में दखलंदाजी करने का आरोप लगता है. जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई तो राजीव गांधी को पीएम बनाया गया, लेकिन राजीव गांधी के बाद नेहरू परिवार का कोई भी सदस्य सरकार में उच्च पदों पर नहीं बैठा, लेकिन कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर कांग्रेस की कमान नेहरू परिवार तक ही सीमित है. इसी के चलते बीजेपी कांग्रेस पर  'परिवारवाद की राजनीति' का आरोप लगाती है.

राजद पर लगता है इल्जाम
बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव पर 'परिवारवाद की राजनीति' का भी आरोप लगता रहा है. लालू यादव ने जब पार्टी बनाई तो उन्होंने अपने रिश्तेदारों को खूब बढ़ावा दिया. जैसे कि बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी के भाई साधु यादव जैसे नेता पार्टी में अहम पदों पर रहे. इसके अलावा जब लालू यादव पर चारा घोटाले में आरोप लगे तो उन्होंने अपनी पार्टी में किसी दूसरे नेता को सीएम न बनाकर अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सीएम बनवाया. इसके बाद लालू यादव की बेटी और बेटा बड़े होकर पार्टी में शामिल हो गए और सक्रिय राजनीति करने लगे. आज लालू के परिवार के आधे से ज्यादा लोग राजनीति में सक्रिय हैं. इसमें सबसे बड़ा नाम लालू यादव के बेटे और बेटी तेजस्वी, मीसा भारती, रोहिणी आचार्य और तेजप्रताप का है.

सपा
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह पर भी 'परिवारवाद की राजनीति' का आरोप लगता है. मुलायम सिंह ने जब पार्टी की स्थापना की थी, उस समय पार्टी में उनके परिवार के लोग ही उच्च पदों पर थे. पिछले लोकसभा चुनाव 2024 में परिवार के लोगों को खूब टिकट मिले और उन्हें जनता का आशीर्वाद भी मिला. इस चुनाव में सभी की जीत हुई है. 2012 के चुनाव में जब सपा को पूर्ण बहुमत मिला तो मुलायम सिंह ने पार्टी के अन्य नेताओं को सीएम बनाने की बजाय अपने बेटे अखिलेश यादव को सीएम बनाया. अगर इस बार की बात करें तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव के परिवार से 6 लोग सांसद बन चुके हैं. जिसमें एक राज्यसभा भी शामिल है.

लोजपा
वहीं अगर एलजेपी की बात करें तो एलजेपी पर भी 'परिवारवाद की राजनीति' का आरोप लगता रहा है, लेकिन जब तक एलजेपी बीजेपी के साथ नहीं थी, तब तक बीजेपी उस पर 'परिवारवाद की राजनीति' का आरोप लगाती थी, लेकिन पिछले 15 सालों से एलजेपी बीजेपी के साथ है. जिसके बाद बीजेपी एलजेपी पर 'परिवारवाद की राजनीति' का आरोप नहीं लगाती है. हालांकि विपक्षी पार्टी एलजेपी को लेकर बीजेपी पर हमला करती रहती है. अगर एलजेपी की बात करें तो इस चुनाव में एनडीए गठबंधन में एलजेपी को 5 सीटें मिली थीं और पांच सीटें जीतने में सफल रही थी. जिसमें परिवार के 2 सदस्य सांसद हैं. चिराग पासवान और उनके साले भी सांसद हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में एलजेपी को 6 सीटें मिली थीं और 6 सीटें जीतने में सफल रही थी. उस वक्त भी परिवार के 4 सदस्य सांसद थे. इसमें रामविलास पासवान, चिराग पासवान, भतीजे प्रिंस पासवान, भाई छेदी पासवान का नाम शामिल है.

कई पार्टियों पर लग चुका है इल्जाम
इसके अलावा जेडीएस पर 'परिवारवाद की राजनीति' का भी आरोप लगता रहा है. क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के बाद उनके बेटे ने विरासत संभाली है. एचडी कुमारस्वामी कर्नाटक के सीएम बने, हालांकि उन्होंने लंबे समय तक सीएम पद पर नहीं रहे, लेकिन उनके परिवार के कई सदस्य सक्रिय राजनीति में शामिल हैं. जैसे प्रज्वल रेवन्ना रेड्डी का नाम भी शामिल है. इसके साथ ही करुणानिधि, स्टालिन और सिबू सोरेन पर भी परिवारवाद की राजनीति का आरोप लगाया है.

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