Waqf Amendment Bill Proposal Accepted: संयुक्त संसदीय समिति में शामिल विपक्ष के नेताओं नें वक्फ संशोधन बिल के मसौदे में 572 बदलाव करने का सुझाव दिया था, जिसे खारिज करते हुए JPC ने उसी बिल को मंजूरी दे दी है, जिसे सरकार पास कराना चाह रही है. पूरी खबर जानने के लिए नीचे स्क्रोल करें..
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Amendment Bill: संसद की संयुक्त समिति (JPC)ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों को सोमवार को स्वीकार करते हुए विपक्षी सदस्यों के संशोधन प्रस्तावों को खारिज कर दिया. समिति के सदर जगदम्बिका पाल ने बैठक के बाद कहा कि समिति द्वारा स्वीकार किए गए संशोधनों से कानून बेहतर और पुरअसर होगा. जगदंबिका पाल ने कहा, "विधेयक के 14 प्रावधानों में राजग सदस्यों द्वारा पेश संशोधनों को स्वीकार कर लिया गया है. विपक्षी सदस्यों ने सभी 44 प्रावधानों में सैकड़ों संशोधन पेश किए थे, और उनमें से सभी को मत विभाजन से खारिज कर दिया गया. वहीँ, विपक्षी सांसदों ने बैठक की कार्यवाही को एकतरफा बताते हुए इसकी निंदा की और पाल पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को ‘पलटने’ का इलज़ाम लगाया है.
विपक्ष ने दिया था 572 संशोधनों का सुझाव
इससे पहले वक्फ संशोधन विधेयक पर विचार के लिए बनी संसदीय समिति के सदस्यों ने मसौदा विधेयक में 572 संशोधनों का सुझाव दिया था. बिल के मसौदे में सुझाए गए बदलाव पर सोमवार को समिति की बैठक चर्चा होनी थी, लेकिन बिना चर्चा के ही इस स्वीकार कर लिया गया. वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने 8 अगस्त को लोकसभा में पेश किया था. इसके बाद संसद की संयुक्त समिति को भेज दिया गया था. विधेयक का मकसद वक्फ कानून 1995 में संशोधन करना है, ताकि वक्फ संपत्ति के विनियमन और प्रबंधन में आने वाली समस्याओं और चुनौतियों का समाधान किया जा सके.
जगदंबिका पाल ने बिल पर विपक्ष को बोले नहीं दिया
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर JPC की बैठक के बाद इसके एक सदस्य TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, "आज उन्होंने वही किया जो पहले से तय किया था. उन्होंने हमें बोलने नहीं दिया. बैठक में किसी भी नियम या प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. शुरू में, हमने दस्तावेज, अभ्यावेदन और टिप्पणियां मांगी थीं. वे सभी चीजें हमें नहीं दी गईं. उन्होंने खंड दर खंड चर्चा शुरू कर दी जबकि हमने कहा, पहले चर्चा करते हैं, लेकिन जगदंबिका पाल ने चर्चा ही नहीं होने दी. फिर वे संशोधन प्रस्ताव लेकर आए और हम सभी को संशोधन प्रस्ताव पर बोलने नहीं दिया गया. उन्होंने खुद प्रस्ताव पेश किया, गिना और घोषणा कर दी. सभी संशोधन पास हो गए. हमारे संशोधन खारिज कर दिए गए और उनके संशोधन को अनुमति दे दी गई. यह एक दिखावा मात्र था. यह लोकतंत्र के लिए एक काला दिन है. जगदंबिका पाल लोकतंत्र के सबसे बड़े ब्लैकलिस्टर हैं. वे एक ऐसे इंसान हैं जिन्होंने लोकतंत्र को नष्ट कर दिया है"
सरकार क्यों करना चाहती है वक्फ कानून में संशोधन
इस्लाम में प्राचीन काल से चल-अचल संपत्ति को गरीब- दीं दुखियों या धार्मिक और परमार्थ के कामों के लिए अपनी ज़मीन या किसी चल- अचल संपत्ति को वक्फ करने का चलन रहा है. आजाद भारत में पहली बार 1995 में वक्फ को कानूनी दर्जा प्राप्त हुआ. भाजपा के तरफ से गाहे-बगाहे वक्फ कानून पर मनमानी और असीमित शक्तियों का गलत इस्तेमाल करने का इलज़ाम लगाया जाता रहा है. इन्हीं वजहों से सरकार द्वरा वक्फ संसोधन बिल लाया गया. सरकार इस बिल के माध्यम से वक्फ कानून में लगभग 40 बदलाव करना चाहती है. यह संशोधन वक्फ बोर्ड में महिलाओं की भागीदारी और बोर्ड मेम्बर के चुनाव प्रक्रिया से संबंधित है. सरकार द्वारा दावा किया जा रहा है कि इस संशोधन के बाद वक्फ बोर्ड के मनमानी तरीके से काम करने पर अंकुश लगेगा और वक्फ के असीमित शक्तियों को कम किया जा सकेगा.
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