Pakistan Ahmadia News:पाकिस्तान में दिन-प्रतिदिन अहमदियों पर हमले बढ़ते जा रहे है. अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में कट्टरपंथियों द्वार अहमदिया समुदाय की 40 कब्र की बेहुरमती की खबर सामने आई है. पूरा घटना जानने के लिए नीचे स्क्रॉल करें.
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Pakistan Ahmadia News:पाकिस्तान से आए दिन वहां के माइनोरिटी के खिलाफ हिंसा और कई तरह से हो रही जुल्म की खबरें सामने आती रहती है. ऐसी ही एक पाकिस्तानी माइनॉरिटी कम्यूनिटी है जिसे अहमदिया समुदाय के नाम से जाना जाता है. इस समुदाय पर पाकिस्तान के कट्टरपंथी लोगो द्वारा हमला किया जाता है. इस बीच पाकिसतान के पंजाब प्रांत में धार्मिक चरमपंथियों ने अल्पसंख्यक अहमदिया समुदाय की लगभग 40 कब्रों के साथ छोड़-छाड़ की है, जिनके बारे में माना जाता है कि वे एक कट्टरपंथी पार्टी के सदस्य हैं. पुलिस ने यह जानकारी दी है.
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40 कब्रों के साथ तोड़-फोड़
जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान के एक अफसर ने कहा, "लाहौर से लगभग 50 किलोमीटर दूर शेखूपुरा में अहमदिया लोगों को निशाना बनाते हुए उनके घरों के बाहर घृणित डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई. तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के सदस्य माने जाने वाले चरमपंथी तत्वों ने शेखूपुरा में लगभग 40 कब्रों के साथ तोड़-फोड़ किया है."
पुलिस ने कहा कि वह अहमदिया समुदाय के कब्रिस्तानों को निशाना बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेगी. हालांकि, जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान (जेएपी) ने इलजाम लगाया कि पुलिस ने इस मामले में लापरवाही की थी. उपद्रवियों ने बेखौफ होकर अहमदी कब्रों के पत्थरों को ध्वस्त कर दिया. पिछले साल भी पाकिस्तान में धार्मिक चरमपंथियों द्वारा दर्जनों अहमदी कब्रिस्तानों में तोड़फोड़ की गई. खासकर पंजाब प्रांत में, लेकिन पुलिस अपराध में शामिल एक भी संदिग्ध के खिलाफ कार्रवाई नहीं की.
अहमदियों के हक़ और सम्मान की हिफाजत करने की जरूरत
जेएपी के प्रवक्ता आमिर महमूद ने कट्टरपंथियों द्वारा दिखाई गई शर्मनाक डॉक्यूमेंट्री और 40 अहमदी कब्रों की बेहुरमती की कड़ी निंदा की है. उन्होंने पुलिस की आलोचना करते हुए कहा कि प्रशासन को कब्रों के पत्थरों को तोड़ने और भड़काऊ घटना के वक़्त फौरन कार्रवाई करनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि खुलेआम नफरत फैलाने वाले ऐसे कृत्यों में शामिल उपद्रवियों को पकड़ा जाना चाहिए और मुल्क के कानूनों के तहत उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए. उन्होंने मांग की है कि "घृणा से प्रेरित डॉक्यूमेंट्री और अहमदी कब्रों के तौहीन के लिए जिम्मेदार लोगों को कानून के तहत न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए." शांतिप्रिय अहमदियों के हक़ और सम्मान की हिफाजत करने की जरूरत है. पाकिस्तान में, धार्मिक चरमपंथी अहमदियों के खिलाफ अपने घृणित अभियान को तेज कर रहे हैं, जिसकी वजह से दफतरों में उत्पीड़न, नौकरी से बर्खास्तगी और अहमदी दुकानदारों का बहिष्कार करने के लिए सार्वजनिक मांग हो रही है.
अहमदिया को मुस्लमान, नहीं मानता है पाकिस्तान
पाकिस्तान की संसद ने 1974 में अहमदी समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित किया था. एक दशक बाद, उन्हें खुद को मुसलमान कहने पर बैन लगा दिया गया था. उन्हें धर्म का प्रचार करने और हज करने पर पाबंदी लगा दिया गया है. यानी अहमदीया मुस्लमान अपने धर्म का प्रचार और हज के लिए सऊदी नहीं जा सकते है.
अंतर्राष्ट्रीय संस्था ज़ाहिर कर चुकी है चिंता
पाकिस्तान में हो रहे अहमदिया समुदाय के खिलाफ पर अत्यचार पर अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं चिंता जता चुकी है. गौरतलब है कि पाकिस्तान में रह रहे अहमदिया समुदाय के लोगों की मान्यता और रीति रिवाज आम पाकिस्तानी मुस्लमानों से अलग है. इस चीज को आधार बना कर वहां के कट्टरपंथी लोग उन्हें काफिर बोलते हैं, और उन पर ज़ुल्म करने को जायज समझते हैं.
मुल्क की कुल आबादी का सिर्फ 0.09 प्रतिशत अहमदी मुस्लिम
पाकिस्तान में, 220 मिलियन आबादी में से लगभग 10 मिलियन गैर-मुस्लिम आबादी है. पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा 2021 में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 96.47 प्रतिशत मुस्लिम हैं, इसके बाद 2.14 प्रतिशत हिंदू, 1.27 प्रतिशत ईसाई, 0.09 प्रतिशत अहमदी मुस्लिम और 0.02 प्रतिशत अन्य हैं. रूढ़िवादी मुस्लिम बहुल पाकिस्तान में अल्पसंख्यक अक्सर चरमपंथियों द्वारा उत्पीड़न की शिकायत करते हैं.
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