असम सरकार ने 100 मुस्लिम परिवारों पर चलाया बुलडोजर, सर्दी में ठिठुरने को मजबूर लोग
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असम सरकार ने 100 मुस्लिम परिवारों पर चलाया बुलडोजर, सर्दी में ठिठुरने को मजबूर लोग

असम के लखीमपुर में अवैध बताकर सरकार ने 100 मुस्लिम परिवारों के घर तोड़े हैं. लोग बेसहारा है. वह सर्दी में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं. ऐसे में सरकार उनके लिए कोई बंदोबस्त नहीं कर रही है.

असम सरकार ने 100 मुस्लिम परिवारों पर चलाया बुलडोजर, सर्दी में ठिठुरने को मजबूर लोग

शरीफ उद्दीन अहमद/गुआहाटी: असम के लखीमपुर के पाभो वनांचल में वन विभाग ने भूमि अतिक्रमण के इल्जाम में तकरीबन 100 परिवारों के घर बुलडोजर से तोड़ डाले. उसके बाद से ही आज तक वहां के लोग खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं.

जनवरी के महीने में ठंड ज्यादा होती है. इसी ठंड के महीने में बच्चे और बुढ़े खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं. एक तरफ जहां आज गणतंत्र दिवस बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है और पूरे विश्व को भारत की उन्नति को दिखाया जा रहा है वहीं दूसरी ओर असम के लखीमपुर के यह जो 100 परिवार हैं लाचार, बेहाल हालत में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं.

वहीं और एक दुख की बात सामने आई है कि जो इस जगह पर बेसहारा लोग रह रहे थे, वहीं पर आज कुछ दिन पहले एक बूढ़े आदमी को एक जंगली गेंदे ने हमला किया था और उनको अस्पताल में ले जाया गया था. इलाज करते हुए ही आज उनकी मौत हो गई है.

इसी बात पर स्थानीय सामाजिक संगठन के नेता ने नाराजगी व्यक्त की है. उनका कहना है कि यह जो बूढ़े आदमी का इंतकाल हुआ है उनकी हाल खबर लेने के लिए प्रशासन का कोई भी शख्स नहीं आया है.

उन्होंने आगे कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा और इन बेसहारा लोगों को रहने की जगह नहीं दी जाएगी तो हम लोग हमारे संगठन की तरफ से जल्द से जल्द एक बड़ा आंदोलन कर राजपथ में निकलेंगे.

वहीं इस बेहाल हालत में रह रहे लोगों को लेकर स्थानीय लोगों ने भी नाराजगी व्यक्त की है. स्थानीय लोगों ने कहा कि पिछले कुछ दिन पहले ये बेसहारा लोग खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं. जिस जगह पर वह रह रहे हैं वहां से भी सरकार उन्हें हटाने की कोशिश कर रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि ये लोग जाएं तो कहां जाएं.

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इस मामले पर इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग के संगठन मुस्लिम स्टूडेंट फेडरेशन के असम प्रदेश अध्यक्ष तौसीफ हुसैन रजा ने कहा कि हम बहुत दुख जाहिर करते हुए कह रहे हैं कि यह मामला बहुत गंभीर है. बेसहारा लोग खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं. उनको सरकार मुआवजा देगी या नहीं? सरकार ने उनके घर बुलडोजर से तोड़ दिए. अब सरकार उनको रहने के लिए दूसरी जमीन क्यों नहीं दे रही है?

उन्होंने कहा कि जमीन तो दूसरी बात उनको एक राहत शिविर भी नहीं दिया जा रहा है. सिर्फ ऐसा हाल कुछ इलाकों में ही देखा जा रहा है. हमारे इन 100 मुस्लिम परिवारों को असम सरकार जल्द से जल्द कुछ व्यवस्था करे. अगर ऐसा नहीं हुआ तो हमारे संगठन मुस्लिम स्टूडेंट फेडरेशन और इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग की तरफ से पार्लियामेंट में उठाएंगे. अगर जरूरत होगी तो जोरदार आंदोलन करेंगे.

बताया जाता है कि जिन लोगों के घर तोड़े गए हैं उनको कुछ स्थानीय लोग और कुछ संगठन मदद दे रहे हैं. परंतु आने वाले कितने दिनों तक सामाजिक संगठन या स्थानीय लोग उनको सहायता करेंगे? जब तक आसाम सरकार उन्हें सहायता नहीं करेगी और उनको मकान बनाने के लिए जगह नहीं देगी तब तक इन बेसहारा 100 परिवार इसी तरह खुले आसमान के नीचे रहना ही पड़ेगा.

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