Bangladesh Violence: बांग्लादेश में कई राजनीतिक पार्टियां है, जिसमें एक जमात-ए-इस्लामी भी है. यह पार्टी बांग्लादेश की कट्टरपंथी पार्टी है. जमात-ए-इस्लामी पर पहली बार मुजीबुर्रहमान सरकार ने प्रतिबंध लगाया था.
Trending Photos
Bangladesh Violence: बांग्लादेश में हिंसा के बीच अंतरिम सरकार का गठन हो गया है. अंतरिम सरकारी की अगुआई नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस करेंगे, लेकिन इस सरकार में सबसे बड़ा रोल जमात-ए-इस्लामी का भी होगा. जमात-ए-इस्लामी हमेशा भारत के खिलाफ जहर उगलता रहता है. इसलिए बांग्लादेश की सत्ता में जमात-ए-इस्लामी का आना भारत के लिए बुरी खबर है. क्योंकि जमात-ए-इस्लामी संगठन ने साल 1971 के बांग्ला मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तान का साथ दिया था. इतना ही नहीं यह संगठन बीते 50 सालों में भारत के खिलाफ जहर उगलता आया है.
पाकिस्तान परस्त है जमात-ए-इस्लामी
जमात-ए-इस्लामी शुरू से ही पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी का विरोध करती रही है. 1971 में मुक्ति संग्राम के दौरान भी उन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों का साथ दिया था. बांग्लादेश सरकार ने पार्टी पर बैन लगाने के चार कारणों में से एक 1971 में जमात-ए-इस्लामी की भूमिका को बताया था. इसके बाद रिजर्वेशन के मुद्दे पर बांग्लादेश में शुरू हुआ आंदोलन हिंसक हो गया.
यह भी पढ़ें:- बांग्लादेश पर है मोदी सरकार की नजर, शेख हसीना को लेकर FM ने किया चौंकाने वाला दावा
बांग्लादेश की है कट्टरपंथी पार्टी
बांग्लादेश में कई राजनीतिक पार्टियां है, जिसमें एक जमात-ए-इस्लामी भी है. यह पार्टी बांग्लादेश की कट्टरपंथी पार्टी है. जमात-ए-इस्लामी पर पहली बार मुजीबुर्रहमान सरकार ने प्रतिबंध लगाया था. जमात-ए-इस्लामी की राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को देखते हुए बांग्लादेश के इलेक्शन कमीशन ने उसका पंजीकरण रद्द कर दिया था. इसके बाद से ही जमात-ए-इस्लामी पार्टी ने शेख हसीना सरकार का कड़ा विरोध करना शुरू कर दिया था. बांग्लादेश की पूर्व पीएम खालिदा जिया समर्थक है. इस वजह से माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी की वापसी होगी और भारत बांग्लादेश के रिश्तों में कड़वाहट आएगी.
जमात-ए-इस्लामी का क्या है इतिहास
जमात-ए-इस्लामी का गठन साल 1941 में हुआ था, जब बांग्लादेश और पाकिस्तान भारत का हिस्सा थे. इसके बाद साल 1947 में देश के बंटवारे के बाद भारत और पाकिस्तान में इस संगठन की अलग-अलग शाखाएं शुरू हुई थी, फिर साल1971 के बाद इसने बांग्लादेश में काम करना शुरू किया. इस संगठन की विचारधारा है कि सभी मुसलमानों को इस्लामी नियमों का पालन करना चाहिए. उन्हें अल्लाह और पैगंबर के बताए रास्ते पर चलना चाहिए. यह संगठन स्वतंत्र जीवनशैली के खिलाफ रहा है और उदार विचारधारा के खिलाफ हिंसक रहा है.