Sri Lanka Crisis: पीएम रानिल विक्रमसिंघे का इस्तीफा, राष्ट्रपति भागे, जल्द चुनाव का हुआ फैसला

श्रीलंका में चल रहे आर्थिक संकट और लोगों के विरोध के बीच रानिल विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. इससे पहले उन्होंने स्पीकर के घर पर पार्टी नेताओं की आपात बैठक की. स्पीकर हर्षा डी सिल्वा ने ट्वीट के जरिए बैठक के निर्णयों की जानकारी दी.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 9, 2022, 07:20 PM IST
  • गोटबाया श्रीलंका छोड़कर भागे?
  • स्पीकर के घर हुई आपात बैठक
Sri Lanka Crisis: पीएम रानिल विक्रमसिंघे का इस्तीफा, राष्ट्रपति भागे, जल्द चुनाव का हुआ फैसला

नई दिल्लीः श्रीलंका में चल रहे आर्थिक संकट और लोगों के विरोध के बीच रानिल विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. इससे पहले उन्होंने स्पीकर के घर पर पार्टी नेताओं की आपात बैठक की. स्पीकर हर्षा डी सिल्वा ने ट्वीट के जरिए बैठक के निर्णयों की जानकारी दी. 

 

आपात बैठक का फैसला- जल्द चुनाव कराए जाएं
उन्होंने ट्वीट के जरिए बताया कि बैठक में तय हुआ है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री अपना पद छोड़ें. अगले कुछ दिनों में सर्वदलीय सरकार की नियुक्ति की जाए. अधिकतम 30 दिन के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति की नियुक्ति की जाए. जल्द चुनाव कराए जाएं.

गोटबाया श्रीलंका छोड़कर भागे?
मीडिया रिपोर्ट्स में के मुताबिक, श्रीलंका में प्रदर्शनकारियों के राष्ट्रपति भवन पर कब्जे से पहले राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे परिवार समेत भाग निकले. गोटबाया राजपक्षे श्रीलंका में हैं या देश छोड़कर चले गए हैं, इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है.

'किसी भी निर्णय का करूंगा सम्मान'
इससे पहले पद छोड़ने के लिए जनता के भारी दबाव के बीच पहली बार अपना रुख स्पष्ट करते हुए, श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने कहा था कि वह शनिवार शाम को होने वाली पार्टी नेताओं की बैठक में लिए गए किसी भी निर्णय का सम्मान करेंगे.

प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा था कि राजपक्षे ने उन्हें सूचित किया है कि वह पार्टी नेताओं की ओर से लिए गए किसी भी निर्णय के साथ खड़े होंगे, जो शनिवार शाम को मिलने वाले हैं.

लोग कर रहे राजपक्षे के इस्तीफे की मांग
देश की अर्थव्यवस्था के चरमराने के बीच 31 मार्च से लोग राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं. लगातार जनता के विरोध को हिंसक रूप से नियंत्रित किया गया था, लेकिन इसने तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और राजनीति में उनके परिवार के सभी सदस्यों को पद छोड़ने के लिए मजबूर किया.

ईंधन आयात करने की कोई योजना नहीं होने के कारण, देश को 27 जून से दो सप्ताह के लिए बंद कर दिया गया है. यहां तक कि लोगों ने 9 जुलाई के दिन को राजपक्षे को हटाने के रूप में योजना बनाई थी. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर देश भर से हजारों लोगों ने शनिवार को कोलंबो तक मार्च किया.

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