नई दिल्ली: जानवरों से जासूसी कराने का चलन लंबे वक्त से चलता आ रहा है. इस काम के लिए कबूतरों को सबसे शातिर माना गया है. प्रथम विश्व युद्ध के समय कबूतर संदेश पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किए जाते थे. आज कबूतरों के पैर में कैमरे बांधकर उनसे जासूसी कराई जाती है. इनके अलावा दुनियाभर की खूफिया एंजेसी डॉलफिन, बिल्लियों, चूहों और गिलहारियों को भी जासूस के तौर पर इस्तेमाल करती आ रही हैं.
ह्वाल्दिमीर रखा गया था नाम
कुछ समय पहले एक सफेद व्हेल मछली जासूसी करने के लिए काफी चर्चा में आई थी. कथित तौर पर कहा गया था कि यह व्हेल रूस के लिए जासूसी करती है. इसे ह्वाल्दिमीर नाम दिया गया था. इसका ये नाम व्हेल को नॉर्वेजियन में कहे जाने वाले शब्द 'ह्वाल' और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर को जोड़कर बनाया गया था. हालांकि, बीते वर्ष ही यह मछली मृत पाई गई. साल 2024 में 31 अगस्त में नॉर्वे तट पर मछली पकड़ने वाले एक पिता और बेटे को ये बेलुगा मछली मृत मिली. इसके बाद व्हेल की मौत पर जैसे हड़कंप सा मच गया.
व्हेल के शरीर पर लगी थी मशीन
14 फुट लंबी और करीब 2700 पाउंड वजनी इस व्हेल को सबसे पहले 2019 में कैमरों में कैद किया गया था और उसके बाद से ही यह चर्चा में आ गई थी. इसके गले में एक पट्टा बंधा था, जिससे अंदाजा लगाया कि यह एक पालतू व्हेल मछली थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस पर कैमरे के साथ एक मशीन भी लगी थी, जिस पर रूस के शहर सेंट पीटर्सबर्ग लिखा था.
कथित तौर पर रूस की सेना ने दी थी ट्रेनिंग
कथित तौर पर इस व्हेल मछली को रूस की नौसेना ट्रेनिंग देती थी. ऐसे में इसे रूस की जासूस व्हेल भी कहा जाने लगा. हालांकि रूस की ओर से कभी इस बात को स्वीकार नहीं किया गया. दूसरी ओर पूरी दुनिया यह सवाल उठा रही थी कि क्या किसी से जासूसी कराई जा सकती है? वहीं, कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि ये व्हेल इंसानों और सैलानियों के प्रति बहुत ईमानदार थी. ये लोगों के साथ, पानी के अंदर ड्रोन के साथ खेलती थी. ये रग्बी भी खेला करती थी.
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