नई दिल्ली: Hola Mohalla 2024: हर साल की तरह इस साल भी होली के दिन सिख समुदाय का महत्वपूर्ण त्यौहार होला मोहल्ला मनाया जाने वाला है. 3 दिन का यह त्योहार लोगों को वीरता और एकता का संदेश देता है. सिख धर्म को मानने वाले लोगों के लिए ये पर्व बेहद महत्वपूर्ण है. हर साल होला मोहल्ला इतने भव्य तरीके से मनाया जाता है कि इसे देखने के लिए लोग देश-विदेश से भी आते हैं. इस साल यह त्योहार 25 मार्च ये 27 मार्च 2024 तक मनाया जाएगा.
होला मोहल्ला को मनाने का उद्देश्य
बता दें कि सिख समुदाय में होला मोहल्ला मनाने की शुरुआत 17वीं शताब्दी में सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने की थी. इस त्योहार को मनाने के पीछे उनका उद्देश्य एक ऐसे समुदाय का निर्माण करना था, जिसमें आत्म- अनुशासन काबिल योद्धा वाली गुणवत्ता और आध्यत्मिकता में कुशलता हो. होला मोहल्ला दो शब्दों से मिलकर बना है होला और मोहल्ला, जिसमें होला का अर्थ होली और मोहल्ला का अर्थ मय और हल्ला से लिया गया है. इसमें मय का अर्थ होता है बनावटी और मोहल्ला का अर्थ होता है हमला. गुरु गोबिंद सिह जी ने सिखों में वीरता और साहस के जज्बे को बढ़ाने के लिए होली पर इस त्योहार को मनाने की शुरुआत की थी. तभी से इस दिन निहंग सिख दो गुटों पर बंटकर एक दूसरे पर बनावटी हमला करते हुए अपना शक्ति प्रदर्शन करते हैं.
इस साल कहां से होगी त्योहार की शुरुआत
होला मोहल्ला को मनाने का उद्देश्य दुनियाभर में एकता, प्रेम, वीरता और बंधुत्व फैलाना है. दुनियाभर में बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ होला मोहल्ला मनाया जाता है. इस मौके पर झांकियां निकाली जाती हैं और कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इस साल इस कार्यक्रम की शुरुआत पंजाब में रूपनगर जिले के आनंदपुर में तख्त श्री केशगढ़ साहिब से होगी.
कैसे मनाया जाता है त्योहार?
होल्ला मोहल्ला की शुरूआत सबसे पहले गुरुद्वारों में सुबह की प्रार्थना के साथ की जाती है. इसके बाद कीर्तन और फिर भव्य जुलूस का आयोजन किया जाता है. इसके बाद दूसरे दिन सिखों की ओर से मार्शल आर्ट गतका का प्रदर्शन किया जाता है. इस दौरान वे नकली युद्ध करते हुए अपनी कला का अद्भुत परिचय देते हैं. इस दौरान कुश्ती, तीरंदाजी और घुड़सवारी जैसी कई रोमांचक प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं. इन प्रतियोगिताओं को देखने के लिए दुनियाभर से सैकड़ों लोग आते हैं. वहीं त्योहार के तीसरे दिन सिख समुदाय के वीरों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है. इसके अलावा त्योहार के अंतिम दिन लंगर का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें हर धर्म-समुदाय के लोगों को भरपेट भोजन करवाया जाता है. इस लंगर के जरिए सिख समुदाय के लोग एकता का संदेश देते हैं.
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