कभी एक जूते के लिए किया संघर्ष, अब भारतीय हॉकी का गौरव हैं वंदना कटारिया, जानें उनकी संघर्ष गाथा

वंदना आईएएनएस से कहती हैं कि एक दलित परिवार से निकलकर यहां तक कभी नहीं पहुंच पाती, अगर मेरे पिता, परिवार और दोस्तों ने सपोर्ट न किया होता.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 1, 2023, 06:08 PM IST
  • जानें वंदना की कहानी
  • इस तरह पाई सफलता
कभी एक जूते के लिए किया संघर्ष, अब भारतीय हॉकी का गौरव हैं वंदना कटारिया, जानें उनकी संघर्ष गाथा

नई दिल्लीः भारतीय महिला हॉकी टीम की प्लेयर वंदना कटारिया रांची में चल रही वीमेंस एशियन हॉकी चैंपियनशिप के दौरान मंगलवार की शाम जब जापान के खिलाफ खेलने उतरीं तो 300 इंटरनेशनल मैच खेलने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं. रांची के जयपाल सिंह हॉकी स्टेडियम में मौजूद हजारों दर्शकों ने इस रिकॉर्ड के लिए उनका इस्तकबाल किया, लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने की राह में उन्होंने बेइंतहा मुफलिसी झेली, नंगे पांव दौड़ीं, एक जोड़ी जूतों तक के लिए संघर्ष किया, और तो और दकियानूसी जातिवादी समाज का अपमान भी बर्दाश्त किया.

जानें इस खिलाड़ी की संघर्ष गाथा
वंदना आईएएनएस से कहती हैं कि एक दलित परिवार से निकलकर यहां तक कभी नहीं पहुंच पाती, अगर मेरे पिता, परिवार और दोस्तों ने सपोर्ट न किया होता. इस रिकॉर्ड पर स्टेडियम में जब उन्हें हॉकी इंडिया के महासचिव भोलानाथ सिंह और झारखंड के मंत्री बादल पत्रलेख, बन्ना गुप्ता और झारखंड के पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी की मौजूदगी में सम्मानित किया गया तो वह भावुक हो उठीं.

300 मैच खेलने वाली खिलाड़ी बनीं
उन्होंने कहा कि उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि वह 300 इंटरनेशनल मैच खेलेंगी. रांची की धरती मेरे लिए यादगार बन गई है. मैं टीम की जर्सी पहनकर बार-बार गर्व से भर उठती हूं. हमारी टीम ने मेरे 300वें मैच को तब और यादगार बना दिया, जब हमने पिछली चैंपियन टीम जापान को रोमांचक मुकाबले में हरा दिया.
यूपी के हरिद्वार की रहने वाली वंदना ने जब हॉकी खेलना शुरू किया था, तो अपने लिए एक हॉकी स्टिक पाना भी उनके लिए बड़ा सपना था. उनके परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो उन्हें जर्सी या जूते दिला सकें. उनके पड़ोसी और घर के कुछ लोग नहीं चाहते थे कि वह खेलने के लिए घर से बाहर निकलें. उनकी दादी भी चाहती थीं कि वह घर पर झाड़ू-बर्तन करें, लेकिन पहलवान रहे उनके पिता नाहर सिंह कटारिया ने उनकी हिम्मत बंधाई और उन्हें खेल के मैदान पर डटे रहने का हौसला दिया.

सनद रहे कि टोक्यो ओलंपिक में अर्जेंटीना के खिलाफ भारतीय महिला हॉकी टीम की हार हुई थी, तब भी वंदना के घर के आगे कुछ लोगों ने हंगामा किया था. आरोप है कि उनके परिवार के खिलाफ जातिवादी टिप्पणियां की थी और घर के सामने पटाखे भी छोड़े थे.

वंदना ओलंपिक खेलों में हैट्रिक बनाने वाली पहली भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी भी हैं. उन्होंने 2022 में प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है. वंदना 2016 में एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी और 2017 में महिला एशिया कप जीतने वाली भारतीय टीम की सदस्य थी.

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