IND vs AUS: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच फरवरी के महीने में आयोजित होने वाली बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले टीम के युवा विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत का चोटिल होना चिंता की लकीरें खींच गया है. टेस्ट क्रिकेट में पंत ने खुद को मैच विनर साबित किया है. बांग्लादेश के खिलाफ पिछली श्रृंखला में भारत को उनकी आक्रामक बल्लेबाजी से फायदा मिला. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार टेस्ट में भारत को पंत के ‘एक्स फेक्टर’ की कमी निश्चित तौर पर खलेगी.
ऐसे में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अगले महीने टेस्ट पदार्पण की दहलीज पर खड़े विकेटकीपर बल्लेबाज केएस भरत चोटिल ऋषभ पंत की जगह लेने को तैयार हैं और जरूरत पड़ने पर उनकी तरह आक्रामक बल्लेबाजी कर सकते हैं. बाएं हाथ के बल्लेबाज पंत पिछले महीने कार दुर्घटना में घायल हो गए थे. उनकी चोट ने भरत को मौका दिया है जिन्होंने राष्ट्रीय टीम में जगह मिलने के बाद से अब तक पदार्पण का मौका नहीं मिला है.
अपनी भूमिका को 100 प्रतिशत निभाते हैं भरत
आधुनिक खेल की जरूरतों के अनुसार विकेटकीपर का बल्लेबाजी करने में सक्षम होना जरूरी है और भरत को उम्मीद है कि वह दोनों विभाग में अच्छा प्रदर्शन करेंगे.
भरत ने यहां दिल्ली और आंध्र के बीच रणजी ट्रॉफी मुकाबले में तीसरे दिन के खेल के बाद कहा, ‘मैंने स्वयं को हमेशा शत प्रतिशत विकेटकीपर और शत प्रतिशत बल्लेबाज माना है. मैंने स्वयं को 70 प्रतिशत बल्लेबाज या 30 प्रतिशत विकेटकीपर नहीं समझा. जब भी मैं क्रीज पर उतरता हूं तो मैं सलामी बल्लेबाज जितना अच्छा हूं और जब भी मैं विकेटकीपर की भूमिका निभाता हूं तो उन हालात या परिस्थितियों में सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर हूं. अपने ऊपर विश्वास मेरे लिए सबसे बड़ी चीज है.’
परिस्तिथि के हिसाब से खेल सकते हैं भरत
भरत ने दिल्ली के खिलाफ 80 रन की पारी खेलकर अपनी बल्लेबाजी क्षमता का परिचय दिया. यह प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनका 27वां शतक है जबकि वह एक तिहरे शतक सहित नौ शतक भी जड़ चुके हैं. भरत को नहीं पता कि उन्हें नागपुर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट में खेलने का मौका मिलेगा या नहीं लेकिन किसी भी स्तर को लेकर वह अपने दिमाग में पूरी तरह से स्पष्ट हैं. आंध्र के इस खिलाड़ी ने कहा कि अगर वह आक्रामक बल्लेबाजी कर सकते हैं तो उनका डिफेंस भी मजबूत है.
उन्होंने कहा, ‘खेल की मांग कुछ भी हो, आपको उसी के अनुसार चलना होगा. आप यह नहीं कह सकते कि मैं टी20 विशेषज्ञ हूं और सिर्फ एक तरीके से खेल सकता हूं. मैं भाग्यशाली रहा कि मैंने काफी कम उम्र में ही इसे समझ लिया. अगर टेस्ट मैच ड्रॉ कराना है तो मुझे लगातार चार घंटे बल्लेबाजी करनी होगी जबकि अगर टीम को चौथे दिन लक्ष्य का पीछा करते हुए 10 ओवर में 100 रन की जरूरत है तो मुझे इसी स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी करनी होती जिससे कि टीम को फायदा हो. आखिर हम जीतने के लिए खेलते हैं, सुरक्षित होकर खेलने का कोई तरीका नहीं है. अगर खेल की मांग है कि आपको (लंबे प्रारूप में) 10 रन प्रति ओवर की गति से रन बनाने हैं तो आपको ऐसा करना होगा.’
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