भारत में बच्चा गोद लेने के लिए क्या है प्रक्रिया? जानें इससे जुड़े नियम-कानून

Adoption Law In India: भारत में गोद लेने की प्रक्रिया हिंदू दत्तक और भरण पोषण अधिनियम 1956 और किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत पूरी की जाती है. इस प्रक्रिया की देखरेख महिला और बाल विकास मंत्रालय के अधीन केंद्रीन दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण करता है. 

 

नई दिल्ली: Adoption Law In India: कई कपल्स बायोलॉजिकल तरीके से बच्चा पैदा नहीं कर सकता है, हालांकि आजकल IVF और सेरोगेसी जैसे कई सारे ऑप्शंस होते हैं, लेकिन कुछ लोग इसे अफोर्ड नहीं कर पाते हैं. ऐसे में उनके पास बच्चा गोद लेने का ऑप्शन रहता है. भारत में अगर आप बच्चा गोद लेने का प्लान बना रहे हैं तो इसके लिए एडॉप्शन पॉलिसी कुछ इस तरह से है. 

 

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Step 1: भारत में बच्चा गोद लेने के लिए कपल्स को CARA वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करना होता है. वे ऑथोराइज्ड एडॉप्शन एजेंसीज, स्टेट एडॉप्शन रिसोर्स एजेंसी या जिला बाल संरक्षण यूनिट के जरिए रजिस्टर कर सकते हैं.   

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Step 2: ऑथोराइज्ड एडॉप्शन एजेंसी के सामाजिक कार्यकर्ता की ओर से एक होम स्टडी की जाती है. इसमें पड़ताल की जाती है कि एडॉप्ट करने वाले पेरेंट्स बच्चे की देख-रेख और भरण-पोषण करने में पूरी तरह सक्षम है या नहीं.   

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Step 3: होम स्टडी के बाद CARA पोर्टल के जरिए कपल्स को एक बच्चे का संदर्भ दिया जाता है. इसमें बच्चे का सोशल और मेडिकल बैकग्राउंड होता है. कपल्स को इसे स्वीकार करने के लिए 48 घंटे का समय दिया जाता है.   

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Step 4: बच्चे को स्वीकार करने के बाद उसे कुछ समय के लिए पेरेंट्स के साथ देखभाल के लिए रखा जाता है. इस अवधि में बच्चे और उसे दत्तक माता-पिता के बीच रिश्ते मजबूत होने की उम्मीद जताई जाती है. उसके बाद ही एडॉप्शन की कानूनी प्रक्रिया शुरु हो जाती है. 

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Step 5: गोद लेने वाले कपल्स को संबंधित कोर्ट में गोद लेने की याचिका दाखिल करनी होती है. कोर्ट होम स्टडी रिपोर्ट, संबंधित दस्तावेज और जरूरी कागजी कार्रवाई की समीक्षा करता है. इसके बाद कोर्ट सुनवाई करता है, जिसमें बच्चा गोद लेने के लिए जरूरी आदेश तो पारित किया जाता है.