नई दिल्ली: Who will be BJP National President: देश में लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. भाजपा को अपनी उम्मीदों के मुताबिक सीटें नहीं मिली. अब संगठन में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं. सबसे बड़ा फैसला तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम पर होना है. फिलहाल जेपी नड्डा भाजपा के अध्यक्ष हैं, लेकिन उन्होंने रविवार को मंत्री पद की शपथ ली. अब वे जल्द ही अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे सकते हैं, जिसके बाद नए अध्यक्ष की नियुक्ति हो सकती है.
नए अध्यक्ष पर होगी बड़ी जिम्मेदारी
भाजपा का प्रदर्शन बीते दो लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार निराशाजनक रहा है. पार्टी को महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और कर्नाटक में झटका लगा है. पार्टी के नए अध्यक्ष को इन राज्यों में एक बार फिर संगठन को मजबूत करना होगा. कर्नाटक को छोड़कर बाकी राज्यों में सरकार के साथ संगठन का तालमेल बैठाना होगा. इसी साल देश के 3 प्रमुख राज्यों महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा चुनाव होना है. नए अध्यक्ष पर इन राज्यों में पार्टी को जिताने की जिम्मेदारी भी होगी. राज्यों के चुनाव में ही पार्टी अध्यक्ष का लिटमस टेस्ट होगा.
नियुक्ति में RSS की भूमिका भी होगी
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति में RSS की भूमिका को नहीं नकारा जा सकता. कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इस बार के चुनाव में RSS ने भाजपा के लिए कड़ी मेहनत नहीं की. इसका एक कारण ये भी है कि पार्टी को अपने दम पर बहुमत आता हुआ लग रहा था. इसके बाद जेपी नड्डा ने भी RSS को लेकर एक टिप्पणी की. इसके बाद पार्टी और संघ में मतभेद होने की खबरें भी सामने आई. लेकिन चुनाव के नतीजों ने भाजपा को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है. अब पार्टी RSS को किनारे करने का रिस्क नहीं उठाएगी. नए अध्यक्ष को चुनते समय RSS की सहमति ली जा सकती है. ऐसा भी हो सकता है कि RSS के सुझाए नाम पर विचार हो.
राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद के लिए ये 3 नाम चर्चा में
1. सुनील बंसल: अमित शाह के बाद भाजपा में सुनील बंसल को भी चाणक्य कहा जाता है. शाह और बंसल की जोड़ी ने यूपी में 2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को बड़ी जीत दिलाई थी. तब शाह यूपी के प्रभारी और बंसल सह-प्रभारी थे. इसके बाद बंसल को पश्चिम बंगाल, ओडिशा और तेलंगाना का प्रभारी महासचिव भी बनाया. बंसल ने इस लोकसभा चुनाव में भाजपा के कॉल सेंटर संभाले, फीडबैक लिया और कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र दिया.
2. अनुराग ठाकुर: अनुराग ठाकुर हिमाचल प्रदेश की हमीरपुर लोकसभा सीट से 5वीं बार सांसद बने हैं. 2008 में उन्होंने यहां से पहली बार उपचुनाव जीता, तब से वे अजेय हैं. अनुराग ठाकुर को संगठन का अनुभव भी है. वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के भी राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं. वे मोदी सरकार में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण व खेल एवं युवा मामलों के मंत्री रहे हैं. अनुराग ठाकुर के पिता प्रेम कुमार धूमल हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. जनवरी 2019 में अनुराग भाजपा के पहले ऐसे सांसद बने, जिनको सांसद रत्न से नवाजा गया. बेस्ट परफॉर्मर मिनिस्टर रहने के बावजूद अनुराग ठाकुर मंत्री नहीं बनाए गए, ये नई संभावनाओं को जन्म देता है.
3. विनोद तावड़े: महाराष्ट्र से आने वाले विनोद तावड़े को करीब दो दशक का संगठन का अनुभव है. वे फिलहाल भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं. वे बचपन से ही RSS से जुड़े रहे हैं. तावड़े को कम और सीधी बात बोलने वाले नेताओं में गिना जाता है. उन्होंने अखिल विद्यार्थी परिषद से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. 1995 में भाजपा ने उन्हें पहली बार महाराष्ट्र का महासचिव बनाया. 2014 में वे पहली बार विधायक बने. फिर वे देवेन्द्र फडणवीस की कैबिनेट का भी हिस्सा रहे. बिहार में JDU और BJP के गठबंधन के पीछे तावड़े की ही रणनीति मानी जाती है. आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा महाराष्ट्र के किसी चेहरे को मुखिया चुनती है तो तावड़े का नाम सबसे पहले आएगा.
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