Zorawar Singh: नाम ही काफी है... भारत के जोरावर सिंह की कहानी, जिसे सपने में याद करके भी डर जाता है चीन!

Who is Zorawar Singh: भारत में जोरावर सिंह का एक ऐसा योद्ध भी हुआ, जिसके चर्चे दूर देश तक भी थे. इस योद्धा ने चीनी और तिब्बती सैनिकों को धूल चटा दी थी. जोरावर को उनकी बहादुरी के लिए आज भी याद किया जाता है. चलिए इनके बारे में जानते हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 18, 2025, 08:29 PM IST
  • जोरावर सिंह भारत के बहादुर योद्धा
  • चीनी और तिब्बती सैनिकों के खिलाफ लड़े
Zorawar Singh: नाम ही काफी है... भारत के जोरावर सिंह की कहानी, जिसे सपने में याद करके भी डर जाता है चीन!

नई दिल्ली: Who is Zorawar Singh: यूं तो भारत में कई महान योद्धा हुए हैं, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में लिख दिया गया है. आज हम आपको ऐसे ही एक जनरल की कहानी बताएं, जिनका नाम सुनते ही चीन की सेना आज भी घबरा जाती है. इनका नाम जोरावर सिंह है, जो 19वीं सदी के महान योद्धा थे.

जोरावर सिंह कौन थे?
जोरावर सिंह का जन्म हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के कहलूर में हुआ. जोरावर कहलुरिया वंश ताल्लुक रखते थे. जोरावर सिंह ने जम्मू-कश्मीर रियासत के राजा संसार चंद द्वितीय की सेना में अहम भूमिका निभाई. बेहद जल्द ही उनकी वीरता और रणनीतिक कौशल के चर्चे होने लगे. वे जल्द ही बड़े पद पर पहुंच गए.

जोरावर सिंह का इतिहास
जोरावर सिंह को लद्दाख में हुए सैन्य अभियानों से प्रसिद्धि मिली थी. तब लद्दाख तिब्बती साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था. जोरावर सिंह ने साल 1834 में उन्होंने जम्मू-कश्मीर के महाराजा गुलाब सिंह की सेना का लद्दाख पर विजय पाने के लिए नेतृत्व किया.ऐसा कहा जाता है कि जोरावर सिंह ने आठ साल के भीतर उन्होंने गिलगिट-बाल्टिस्तान और पश्चिमी तिब्बत को जीत लिया था. जोरावर सिंह के आने की सूचना पाकर तिब्बती कमांडर तकलाकोट से भाग निकला. फिर जोरावर ने तकलाकोट किले पर हमला कर इस पर झंडा फहराया

जोरावर हो गए शहीद
जोरावर सिंह की बहादुरी से तिब्बत ने चीन दे सहायता मांगी थी. 1841 में चीन और तिब्बतियों की दस हजार सैनिकों की सेना ने डोगराओं से लोहा लेने के लिए कूच किया. इस लड़ाई में जोरावर सिंह और डोगरा सैनिकों को मौसम से जुड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. बर्फबारी इतनी तेज हुई कि दर्रे बंद हो गए. तापमान शून्य से 50 डिग्री नीचे जा चुका था. टोयो की लड़ाई में जोरावर सिंह गंभीर घायल हो गए, फिर उनकी मौत हो गई. फिर भी डोगरा सैनिकों ने दुश्मन जनरल को मौत के घाट उतारा.

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