लखनऊ: उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने चोरी के ट्रकों को रिफाइनेंस करा बैंकों का पैसा हड़पने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. स्पेशल टास्क फोर्स को मामले में बड़ी सफलता हाथ लगी है. एसटीएफ के हत्थे गिरोह का सरगना सुभाष यादव चढ़ा है, जिसे लखनऊ के काकोरी इलाके से गिरफ्तार किया गया. हालांकि, अभी मुख्य सरगना अखिलेश सिंह पुलिस की गिरफ्त से बाहर है.
कानपुर, आगरा, जयपुर में सक्रिय है गिरोह
सीओ एसटीएफ ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि इस गिरोह का संबंध ट्रकों को चोरी करने वाले गैंग के साथ भी है. ये लोग कानपुर, आगरा, बिहार और जयपुर में सबसे ज्यादा एक्टिव हैं. पुलिस को इस गिरोह के मुख्य सरगना अखिलेश सिंह की तलाश है. उसकी गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ की टीम जुटी हुई है.
सात लोगों की हो चुकी है गिरफ्तारी
पुलिस इस गिरोह के सात सदस्यों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. एसटीएफ की तरफ से बताया गया कि काकोरी से गिरफ्तार किया गया सुभाष यादव इस गिरोह में दूसरे नंबर का मुखिया है.
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डिफॉल्ट ट्रकों को औने-पौने दाम में खरीदते
इस गिरोह के काम करने का तरीका अलग था. इस गिरोह के गुर्गे उन ट्रकों की तलाश करते जिनकी किस्तें बैंकों से डिफॉल्ट हो चुकी हैं. वे ऐसे ट्रकों की पहचान कर उन्हें औने-पौने दाम में खरीदते. इसके बाद उन डिफॉल्ट ट्रकों के चोरी होने की एफआईआर दर्ज करवाते. साथ ही ट्रकों का चेचिस नंबर और इंजन नंबर मिटा देते.
आरटीओ में दलालों से था संपर्क
फिर आरटीओ के दलालों से संपर्क साधकर टोटल लॉस हो चुकीं गाड़ियों, नीलाम हो रहीं गाड़ियों या फिर दूसरे प्रदेश की गाड़ियों के पेपर निकलवाकर उन कागजातों पर दर्ज चेचिस नंबर और इंजन नंबर डिफॉल्ट हुई ट्रकों पर चढ़वा देते थे. इसके बाद उसका नया रजिस्ट्रेशन करा कर उसे दोबारा फाइनेंस करा देते. फिर कुछ दिनों बाद इन ट्रकों के चोरी होने की एफआईआर दर्ज करा कर बैंक से लोन लेते थे और बैंकों का पैसा हड़प जाते थे.
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