नई दिल्लीः अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर का 100 साल की उम्र में निधन हो गया. 1977 से 1981 के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति का पद संभालने वाले जिमी कार्टर ने अपने कार्यकाल में भारत का दौरा किया था. वह जब भारत दौरे पर आ रहे थे, उस समय भारत में जनता पार्टी की सरकार थी. आपातकाल के बाद हुए चुनाव में इंदिरा गांधी की हार हुई थी और जनता पार्टी ने जीत हासिल की थी.
NPT पर साइन करवाने का था भरोसा
वहीं 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय अमेरिकी रुख और 1974 में भारत के परमाणु परीक्षण के बाद नई दिल्ली और वॉशिंगटन के संबंधों में तनाव और बढ़ गया था. इसके बाद हुए जिमी कार्टर के भारत दौरे ने दोनों देशों के रिश्तों में जमी बर्फ को पिघलाने का काम किया था. हालांकि जब जिमी कार्टर भारत आए थे तो उन्हें पूरा भरोसा था कि वह नई दिल्ली से परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि (NPT) पर साइन करवा लेंगे. रिपोर्ट्स में भी इसका दावा किया जाता है लेकिन ऐसा हो नहीं सका.
जब जिमी कार्टर ने भारत के सामने नॉन प्रोलिफरेशन ट्रीटी (NPT) पर साइन की बात कही थी तो कहा जाता है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने सूझबूझ भरे तरीके से कार्टर को उलझा दिया था. उन्होंने कार्टर के सामने इसके बदले 3 शर्तें रखीं, जिसे लेकर उन्हें भी पता था कि ये शर्तें वो पूरी नहीं कर पाएंगे.
मोरारजी देसाई की तीन शर्तें कौन सी थीं
मोरारजी देसाई ने कहा था कि भारत एनपीटी पर साइन तभी करेगा जब दुनिया के सभी न्यूक्लियर पावर कंट्री भी इस पर दस्तखत कर दें. उन्होंने दूसरी शर्त यह रखी कि कोई भी देश परमाणु हथियार नहीं बनाएगा और तीसरी शर्त थी कि अगर सभी परमाणु शक्तियां अपने न्यूक्लियर वेपन खत्म कर देते हैं तो भारत भी परमाणु परीक्षण नहीं करेगा.
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